By- VARUN SINGH GAUTAM
कवित्त भाग – आठ
अकस्मात् अँसुवाना
अंबुनिधि – सी
अकत है।
अकथ् है
अंशुमाला की
गहना है किन्तु
अकरासू को गहनता
अकथ्य है।
अकर्षण है
अकच्छ की
अकर्मण्यता, अकरास रखना
अकर है।
अकरुण, अक
रखो अकरणीय
समर्थ है,
अउ
अंशुपति नहीं
अकिंचितज्ञ है
ये अखिल सी अकाव
आच्छादित है।
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