By- VARUN SINGH GAUTAM
एक बार जब नवघोष की गूञ्ज
नव्यचेतन क्या ओझल विस्मृत – सी ?
चिरन्तन भोर – विभोर अंजीर में
प्रदीप पथ प्रवल निर्झर नीहार
वात्सल्य कारुण्य आसक्ति अलि
उम्दा प्रणय ध्वनि केतनधार
कलित सारङ्ग ऊर्मि पुष्पित काया
सिन्धु लहर परिष्यन्दी होती उस अरुक्ष
अलिक चङ्गा अनभिज्ञ इस उद्यान
ज्योति समीर अर्ण तड़ित् आलम्ब
मन्द – मन्द ईषद्धास कभी आक्रन्दन
वारिद के वसन्त तड़ित् झलमल
किसी घड़ी क्षिति वात से हुँकार करती
यामिनी सविता गन्धतृण – सी फर्ण
विरह विकीर्ण उन्मीलित अश्रु धार
नतशिर प्रहरी सदा दे अंजली
अबाध रही उद्वेलित कलुषित में
कुसुमकोमल कर्णभेदी झङ्कृत करती
अलङ्कृत उन्मुक्त पुलकित गगन में
अनुरक्त आह्वान अंगीकृत करती
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