By- VARUN SINGH GAUTAM
स्वर संगीत सरगम बजे दिल में
संंग – संंग गीत हो, लगे नयन में
चित्त शांत रहे,गीत बजे कण – कण में
भक्त रहे सदा प्रेमलय वर/वधु अश्रु परिपूर्ण में।
ले हुङ्कार स्वर स्पन्दन निस्पन्दन बहे जग में
फूल खिला , सृजन पला रहे तन – मन – हर में
भोर बीती, सन्ध्या के वनिता के नूपुर रुनझुन में
कला निधान विश्वाम्बर बहे उज्ज्वल झंकृत में।
पंचतत्व हृदय पंक्त पंख धोएँ राग-सरोवर में
भव सौन्दर्य हैं, पंक्ति आभा के पन्थ में
मधुर-मधुर रसमय है, शीतल रूपम् संगम
गूंज-गूंज कर बोल उठे, हर जीवत्व पंचम स्वर में।
मन हर-हर के कोयली मोती हंस वीणा बजा उठी
सा रे ग् म् प् ध् नि सा,
सारे रेगा गमा मपा पधा निसा…..
सारेगामा…….पाधानिसा…
निसारेगामा……. गमपधानिसा…..
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