By- VARUN SINGH GAUTAM
इकतीस, December
ये भी दिन साल के आखिरी
इकतीस दिसम्बर
भोर के आच्छादन है
कुहेलिका दुग्धवत है
शरीर पर थरथरी
चुभती मगर किन्तु
शोर मचाती
स्पर्श मात्र से
रोंगटे खड़े हो जाते
मानो ठंड का मौसम है
हाँ, जी ठंड ही है।
पिता मेरे पाणिग्रहण को
चिन्ता भविष्यद के लिए
चरम के गहराई तलक…
मेरी माँ मेरे ममत्व में
मेरे ले के भोजन बना रही
क्योंकि मुझे बनारस जाना है
पढ़ने-लिखने की एक ललक
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में
स्वप्न भी थी अब ये हक़ीक़त है
सखा के इंतजार में बैठा हूँ
आने वाला है सहपाठी
एक नहीं जाऩो चार – चार
खुशियों की एक बौछार होगी
पार्टी दी जाएंगी
क्योंकि मेरा बीएचयू में हुआ था
TELEGRAM GROUP LINK 1 – CLICK HERE
SN | NOTES |
1 | IMPORTANT TEST SERIES FOR ALL EXAMS |
2 | LIST OF ALL QUIZZES |
3 | IMPORTANT STATIC GK FOR ALL EXAMS |
4 | INTERESTING FACTS FOR ALL EXAMS |
5 | FREE SUBJECT WISE NOTES FOR ALL EXAM |
TELEGRAM GROUP LINK 2 – CLICK HERE