By- VARUN SINGH GAUTAM
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
परिशुद्ध हैं ये हिन्दी
उज्ज्वल प्रांगण में
प्रज्ञा दीप है हिन्दी
हेर हेर कैसे उड़ते
पंख पंक्ति में कहो
कोई बोल तो कोई
नव्य हार हैं हिन्दी
रामधारी, जायसी
भूषण कबीर की बोल
भाष्य है ये हिन्दी
शब्द वर्ण अक्षर
अक्षयतत्व है हिन्दी
हिन्दी कवित्त है
मैं का बोल है हिन्दी
कहानी निबन्ध
हमारी लेखनी है हिन्दी
दम्भ है और ये ही
प्रभा है अपनत्व के
हिन्दी तत्व है कहूं
जय जय जय तत्व
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