VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA

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VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA

VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA
VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA

शीर्षक:- मौन

शीर्षक :- टूटना

अज्ञात होना। मेरे नाम की
पांच खड़ी है
स्लेट पर लिखा ‘अ’
उस अक्षर पर बार-बार
चॉक रंगना
मतलब
क़व्वाली करना
इस ऊहापोह में हृदय का
टूटना
मानवीयता का हनन मात्र है।
आदमी नहीं
किन्तु
बड़े-बड़े ओहदे का
परिचारक होना ही सभ्य
होना है
मतलब
आदमी होना
क़व्वाली करना
अज्ञात!

शीर्षक :- विश्व आदिवासी दिवस पर विशेष

शीर्षक :- पुल (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष)

शीर्षक :- बाईस वर्ष

शीर्षक :- यथार्थ से परे

S. NO.VARUN SINGH GAUTAM
1एक घड़ी या दो घड़ी….
2एक पैग़ाम ( ग़ज़ल )
3मैं हूँ निर्विकार
4पवित्र बन्धन
5मैं तड़प रही
6हरीतिमा स्वंहृदय में
7विजयपथ
8मेरे गुरुवर
9शृङ्गार अलङ्कृत
10विकल पथिक हूँ मैं
11अकेला
12साँझ हुई
13क्यों है तड़पन ?
14पङ्खुरी
15अग्निपथ का अग्निवीर
16सतरङ्गी
17आँगन
18शून्य हूँ
19विजय गूञ्ज
20कबीर
21कल्पित हूँ
22अश्रु धार
23World Music Day
24योग कुरु कर्माणि
25सुनसान
26पङ्ख
27तन्हा मैं
28आखिर क्यों
29कहर
30गर्मी उफ़ रे गर्मी
31वाह रे चीन….!
32शोणित धार
33ये सात लम्हे कैसे बीत गए नवोदय के
34दीवाली पर विशेष
35सब भूलेंगे जरूर
36आत्मशून्य मैं
37कवित्त
38कवित्त
39ठिठुरन
40.कंपकंपी
41.ये अन्धेरी रात
42.गाँव की शामें
43मेरी सम्पूर्ण
44स्पन्दन
45कशिश
46कवित्त भाग – तीन
47इकतीस, December
48कवित्त भाग – चार
49निःशेष लिए… भाग – एक
50कवित्त भाग – पांच
51कवित्त भाग – छः
52कवित्त भाग – सात
53कवित्त भाग – आठ

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