होली आई (कविता) By- VARUN SINGH GAUTAM
होली आई
होली आई होली आई
ढ़ेर सारी खुशियाँ लायी
रङ्गों का त्योहार है
बच्चों का भी हुड़दङ्ग
कहीं पिचकारी की रङ्ग तो
कहीं कीचड़ों की दङ्ग
जहाँ भी अबीर – गुलाल के सङ्ग
कहीं ढोल बाजा तो
कहीं अंगना की गीत – गाना
फाल्गुन की होली
वसन्त की होली
जहाँ खेतों में सरसों
इठलाती हुई गेहूँ की बालियाँ
आम्र मञ्जरियों के सुगन्ध
ढोलक – झाञ्झ – मञ्जीरों के सङ्ग
कभी राधाकृष्णन के सङ्ग
कभी ज़हांगीर नूरजहां के रङ्ग
फाग और धमार का गाना
कहीं वसन्तोत्सव
कहीं होलिकोत्सव
कहीं नृत्याङ्गना की नृत्य
तो कहीं कलाकृतियों में
भाईचारा व मित्रता का भाव ही
होली का यहीं अहसास कराता