दहेज (कविता) – TEJPAL KUMAVAT

हमारी वेबसाइट “Science ka Mahakumbh” में आपका स्वागत है। यहां पर TEJPAL KUMAVAT की कविता, कहानी प्रकाशित किया जाएगा। आप सभी इसका आनंद लीजियेगा।

TELEGRAM GROUP LINK 1CLICK HERE
FOLLOW US IN INSTAGRAMCLICK HERE
YOUTUBE CHANNELCLICK HERE
TELEGRAM GROUP LINK 2CLICK HERE

दहेज (कविता) – TEJPAL KUMAVAT

दहेज (कविता) 
BY - TEJPAL KUMAVAT
स्वतंत्रता दिवस (कविता) – TEJPAL KUMAVAT

दो दिलों के नाम पर
रिश्तों का मोल लगाया जाता हैं
शादी के नाम पर
परिवारों को ठगा जाता है

बाप ने अपनी जमीं दांव पर लगाई
तब उसकी बेटी की हुई सगाई
बाप ने भर दिया उस बेटी का घर
जिस घर में है वो ब्याही

शादी नहीं व्यापार की घटाए
इस कदर है छाई
बेटी के पिता ने अपनी जिंदगी दांव लगाई
तब गूंजी उसके घर में शहनाई

पैसे जोड़ते जोड़ते
पिता की एडियां फट गई
हैसियत से ज्यादा दे दिया उनको
पर अब जेब खाली हो गई

दुल्हन बन के जब वो ससुराल गई
कोई पूछे क्या लाई है
कोई कहें कम तो कोई कहे
हैसियत से ज्यादा लाई है

दहेज मांगने वाले का अभी पेट भरा नहीं
उन्होंने पैसों के खातिर अपना ईमान बेच दिया
रिश्तों की कच्ची भट्टी में
एक बेटी को झोंक दिया

मांगे बढ़ गई उनकी
बेटी को प्रताड़ित किया गया
चंद पैसों की खातिर
बेटी को मारा पीटा गया

बिक गई जमीन उस पिता की
दहेज में देकर
झुक गया वो पिता बेटी की इज्जत के लिए
बिक गया वो खुद
रिश्तों को बचाने के लिए

ना जानें कितने घर कमज़ोर हुए
दहेज ने सबको लूट लिया
पिता की आँखें भर जाती है
जिसने अपनी बेटी को विदा किया

दहेज देते एक पिता की
कमर टूट जाती है
सोचता रहता है वो हर पल
दहेज के लिए और कितनी रक्कम चुकानी है

BY – TEJPAL KUMAVAT

बचपन (कविता)

स्वतंत्रता दिवस (कविता)

आँखे बंद करके

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!