दोस्त (कविता) - TEJPAL KUMAVAT

दोस्त (कविता) – TEJPAL KUMAVAT

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दोस्त (कविता) – TEJPAL KUMAVAT

दोस्त (कविता) - TEJPAL KUMAVAT

थे हम अजनबी जब आपस में मिले
धीरे धीरे हुई पहचान
फिर आपस में हाथ मिले
घुलमिल गए हो ऐसे
जैसे हो दिल से दिल मिलें

साथ बैठ महफिले जमाते है
हंसते गाते मौज मनाते है
नाम तो जैसे भूल गए
गलियों से एक दूसरे को बुलाते हैं

वो मुझे कभी कभी सताया करते है
हो जाऊं उदास तो वो हंसाया करते हैं
अजनबी बनके हाथ मिला था
अब वो छोटी से छोटी बात
मुझे बताया करते है

समझता नहीं कोई मुझे उनके जितना
मेरी कमियों को वो सुधारते है
मुश्किलें चाहे कैसी भी हो,वो
हर गम को मुझसे बांट लिया करते है

कुछ कमियां है मेरे में
वो सिर्फ मेरी खूबियां गिनाते है
वक्त भी मिनटों में बीत जाता है जब
हम घंटो बैठा करते है

बाइक सवार हो है
एक दूसरे की गलतियों पर पर्दा डाला करते है
हार जीत में एक दूसरे का साथ देते
सुख दुःख में साथ बैठा करते है

उनके साथ का सफर जैसे हौसला लगे
हर गाली भी उनकी दुआ लगे
उनकी बाते कड़वी मगर हकीकत होती है
उनका प्यार जैसे मीठा दरिया लगे

BY – TEJPAL KUMAVAT

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