दोस्त (कविता) – TEJPAL KUMAVAT

दोस्त (कविता) - TEJPAL KUMAVAT

थे हम अजनबी जब आपस में मिले
धीरे धीरे हुई पहचान
फिर आपस में हाथ मिले
घुलमिल गए हो ऐसे
जैसे हो दिल से दिल मिलें

साथ बैठ महफिले जमाते है
हंसते गाते मौज मनाते है
नाम तो जैसे भूल गए
गलियों से एक दूसरे को बुलाते हैं