Kohinoor

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ की मृत्यु के बाद क्या कोहिनूर वापस आएगा भारत?

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ की मृत्यु के बाद क्या कोहिनूर वापस आएगा भारत?

Kohinoor कोहिनूर

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (1926-2022)अब इस दुनिया में नहीं रही, जब यह खबर देश भर में फैली तो अब यह प्रश्न उठता है कि क्या कोहिनूर भारत वापस आ पाएगा। कोहिनूर को भारत वापस लाने की मांग क्यों की जा रही हैं। आज हम बात करेंगे कि क्या अब कोहिनूर भारत वापस आ जाएगा। इसके लिए हमें पहले कोहिनूर के इतिहास को जानने की जरूरत है, तो आइए जानते हैं कि आखिर क्या कहता है कोहिनूर का इतिहास?

यह माना जाता है कि पहले दक्षिण भारत में स्थित भद्रकाली का मंदिर जो वारंगल में पड़ता है। 1398 में तुगलको ने इस मंदिर पर आक्रमण किया था। इस मंदिर में माता जी की मूर्ति की आंखें जो कोहिनूर से बनी हुई थी। तुगलको ने बहुत सारा धन वहां से लूटा और साथ में कोहिनूर को भी अपने साथ ले गए। फिर तुगलको से यह इब्राहिम लोदी के पास पहुंचा। फिर पानीपत के युद्ध में इब्राहिम लोदी को हरा कर हुमायूं ने आगरा के सारे धन को अपने कब्जे में ले लिया और इसी धन के साथ कोहिनूर भी उसके पास आ गया। बाबर का पुत्र हुमायूं, हुमायूं का पुत्र अकबर, अकबर का पुत्र जहांगीर, जहांगीर का बेटा शाहजहां और शाहजहां का बेटा औरंगजेब यह पीढ़ी दर पीढ़ी कोहिनूर आगे बढ़ता गया।

शाहजहां ने अपने लिए विशाल सिंहासन बनाया। यह सिंहासन जो मयूर सिंहासन, तख्ते-ताऊस, तकते ताज कहा जाता था। इस सिंहासन पर मयूर की आकृति बनी हुई थी, जिसके मध्य में कोहिनूर को स्थापित किया गया था। इसमें हजारों हीरे जड़े हुए थे। कहा जाता है कि जितना खर्च ताजमहल को बनाने में हुआ था उसका दोगुना खर्च इस सिंहासन को बनाने में हुआ था। जब धीरे धीरे समय के साथ इस कोहिनूर की चमक जाने लगी तो औरंगजेब के समय पर इसे वापस से चमकदार बनाने के लिए एक जोहरी को दिया गया।

कहते हैं कि जब जोहरी इस हीरे को साफ कर रहा था तो यह उसके हाथ से छूट कर जमीन पर गिर गया और यह छोटे छोटे टुकड़ों में बंट गया।

कुछ समय बाद मुगल काल में भारत में नादिरशाह का आक्रमण हुआ जो ईरानी था। नादिरशाह भारत में बहुत सा धन लूटकर अपने साथ ले गया और उसी धन के साथ कोहिनूर भी ले लिया।

बताते हैं कि नादिरशाह ने दिल्ली में कत्लेआम मचा रखा था, क्योंकि सैनिकों द्वारा राशन मांगे जाने पर दुकानदारों ने नहीं दिया। क्योंकि वह सैनिक आक्रमणकारी थे। सैनिकों ने गुस्से में आकर लोगों की हत्या करना शुरू कर दिया। ऐसी बुरी हालत देखकर वहां के शासक मोहम्मद शाह के सेनापति निजामुल मुल्क ने घुटने देखकर नादिरशाह से कहा उनका आपस का बदला प्रजा से न लें और दिल्ली में कत्लेआम को रूकवा दें।

इस पर नादिरशाह ने कत्लेआम को रोकने के लिए बदले में 100 करोड़ रूपए मांगे। रूपए मिलने के बाद नादिरशाह सारा धन लेकर चला गया।

कोहिनूर को धोखे से हासिल किया।

इतिहासकार थियो मेटकाफ़ लिखते हैं कि दरबार में एक नर्तकी ने नादिरशाह से बताया कि मुहम्मद शाह ने अपनी पगड़ी के अंदर कोहिनूर को छुपा कर रखा है। कोहिनूर की जानकारी उसके पास नहीं थी। नादिरशाह ने मुहम्मद शाह से कहा कि दोस्ती की रस्म निभाते हुए आइए हम दोनों एक दूसरे से अपनी पगड़ी बदल लेते हैं। दोनों लोगों ने आपस में पगड़ी बदली और पगड़ी बदलने के साथ हीरा भी नादिरशाह के पास चला गया। नादिरशाह ने हीरे का नाम कोहिनूर रखा जिसका अर्थ है ‘रोशनी का पहाड़’।

यह सारी जानकारियां इतिहासकारों द्वारा निकाली गई है।

मुगलों की 348 सालो की कमाई हुई दौलत नादिरशाह ने एक झटके में हथिया कर हीरे के साथ दिल्ली से ईरान लें जा रहा था। इतिहासकार मोहम्मद काजिम मारवी अपनी पुस्तक ‘आलम आरा ए नादरी’ में लिखते है कि नादिरशाह मुगलों का सारा धन लेके जा रहा था जिसमे तख्ते ताऊस में कोहिनूर और तैमूर की रूबी भी थीं। इस धन को ले जाने के लिए 700 हाथी, 400 ऊंट, 17000 घोड़ो पर धन लाद कर ले जाना पड़ा।

अब आप खुद ही सोच सकते हैं कि भारत सच में “सोने की चिड़िया” था, जिसे इतने सालों तक विदेशी आक्रांताओं ने लूटा। और बाद अंग्रेज़ो ने भी बहुत सारा धन लूटा। इनके जाने के बाद भी भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर खड़ा हैं।

इतना सारा धन ले जाते समय सैनिकों पर भी आशंका थी इसलिए सैनिकों की भी जांच पड़ताल की गई कि कहीं सैनिकों ने धन चुरा कर रख लिया हो। कई सैनिकों ने चोरी पकड़े जाने के डर से धन को वहीं जमीन में दफना दिया और किसी ने नदी में फेंक दिया।

ये सारी कहानियां इतिहासकारों द्वारा लिखी गई हैं।

अब कोहिनूर पहुंचा भारतीय राजा के पास

नादिर शाह की हत्या के बाद उसके अंगरक्षक अहमद शाह अब्दाली के पास कोहिनूर पहुंच गया, फिर कई हाथों से होता हुआ कोहिनूर भारतीय पंजाब के राजा रणजीत सिंह के पास पहुंचा। उस समय भारत पाकिस्तान का बंटवारा नहीं हुआ था। रणजीत सिंह दिवाली, दशहरे आदि त्यौहारों पर आम जनता को देखने के लिए खूबसूरत कोहिनूर को बाहर निकालते थे। इस हीरे को देखने के लिए बहुत दूर दूर से लोग आया करते थे।

जब दुनिया इतना धन लूटकर ले जा चुकी थी तो अंग्रेजों के मन में भी लालच उठा और उन्होंने भी धन लूटने के इरादे से सिखो से युद्ध किया। इस सत्ता के संघर्ष में महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई। 1843 में रणजीत सिंह के पुत्र 5 वर्षीय दलीप सिंह को राजा बना दिया। अंग्रेजों ने चतुराई से सन्धि करके सारा धन लूटा और दलीप सिंह को राजा बना दिया। धूर्त अंग्रेज भारत के लोगों को ही सिंहासन पर बैठाकर भारत का ही धन लूटा करते थे।

अंग्रेज़ो ने बड़ी चालाकी करके भारतीय राजा से हीरे को लें लिया।

द्वितीय एंग्लो-सिख के युद्ध की संधि में यह बताया गया कि सिखों ने अंग्रेजों को स्वयं ही यह कोहिनूर दिया है। दूसरी तरफ अंग्रेजों को यह भी भय था कि कहीं दलीप सिंह बड़े होकर इस कोहिनूर को वापस लेने की मांग ना करने लगे। अब यह कोहिनूर डलहौजी के पास आया जो गवर्नर जनरल था। उसने महारानी विक्टोरिया के प्रति भक्ति दिखाने के लिए विक्टोरिया को वह कोहिनूर दे दिया। इसके लिए डलहौजी ने हीरे को भारत से इंग्लैंड पहुंचाने के लिए जहाज पर चढ़ा दिया।

दलीप सिंह बड़े होकर अंग्रेजों के खिलाफ बगावत न कर दे इसलिए अंग्रेजों ने दलीप सिंह को पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड भेज दिया और वहां महारानी दलीप सिंह को प्रेम पूर्वक रखने लगी। ताकि वह बड़ा होकर उनके विरुद्ध खड़ा होकर कोहिनूर को वापस लेने की मांग न करने लगे।

कोहिनूर जहां गया वहां मुसीबतें हीं आई।

कोहिनूर के बारे में यह कहा जाता है कि यह कभी पुरुषों के पास रूकता ही नहीं है। केवल महिलाओं के पास या मंदिरों में हीं रूकता है। अन्यथा ये जहां गया वहां नुकसान पहुंचाया। इतिहासकार किताब “कोहिनूर द स्टोरी ऑफ वर्ल्डस मोस्ट इनफेमस डायमंड” में लिखते हैं कि जब यह कोहिनूर जहाज में था तो उसकी जानकारी किसी को नहीं थी। यह गुप्त रूप से इंग्लैंड भेजा जा रहा था ताकि इस इसकी जानकारी लेकर कोई जहाज पर आक्रमण ना कर दे।

जैसा की प्रचलित था कि अब जहां यह हीरा होता है वहां मुश्किलें आती ही हैं। उस जहाज में सारे ही लोगों में हैजा फैल गया। फिर यह जहाज को बिना रुके ही सीधे इंग्लैंड में उतारा गया है। रास्ते मे भारी बारिश तूफान से बचते यह जहाज मुश्किलों से हुआ अधमरी हालत में इंग्लैंड पहुंचा।जब वहां से कोहिनूर को निकाला गया। तब सबको यकीन हो गया कि इस जहाज में कोहिनूर था इसीलिए इसे इतने मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

जब कोहिनूर लंदन पहुंचा। तो इसे आम जनता के देखने के लिए बाहर निकाला गया। लोग इस कोहिनूर को देखने के लिए घंटो घंटो महल के बाहर खड़े रहते थे।

क्या भारत के राजा ने खुद से हीरा अंग्रेजों को दिया था?

जब दलीप सिंह बड़े हुए तो महारानी विक्टोरिया को एहसास हुआ कि उन्हें कोहिनूर के बारे में बता देना चाहिए। महारानी विक्टोरिया ने दलीप सिंह को बुलाया और उनको कोहिनूर दिखाया। दलीप सिंह ने उस कोहिनूर को हाथ में लेकर कुछ समय देखा और कहा कि अब यह वो कोहिनूर नहीं जो मेरे पिताजी पहना करते थे। अब इसकी चमक जा चुकी है। यह अब वह कोहिनूर नहीं रह गया और दलीप सिंह महारानी से कहते हैं की विक्टोरिया मैं इस कोहिनूर को सम्मान के साथ आपको दे रहा हूं। लेकिन उस समय इस वार्तालाप का कोई गवाह नहीं था।

लेकिन अंग्रेज कहते हैं कि यह घटना सच्ची है और सन्धि में लिखित रूप से हैं। दलीप सिंह ने खुशी से इस कोहिनूर को महारानी विक्टोरिया को दिया था। दलीप सिंह जब बड़े हुए तो उन्हें अपनी मां से मिलने की इच्छा हुई। उनकी मां जिंदन कौर को नेपाल में रखा हुआ था। दलीप सिंह अपनी मां से मिलने के लिए इंग्लैंड से भारत आते हैं। उनके मिलने का स्थान कोलकाता रखा गया। उस समय जिंदन कौर की आंखें जा चुकी थी। दूसरी तरफ अंग्रेजों को यह डर भी था कि उन्हें सब बात पता चल गई कि उनके पिताजी के साथ क्या हुआ था? और अंग्रेजों ने क्या किया। तो वह अपने हीरा वापस लेने के लिए बगावत कर देंगे।

जैसे ही सिख सैनिकों को यह पता चला कि महाराजा रणजीत सिंह के पुत्र दलीप सिंह आए हुए हैं तो वह कोलकाता उनसे मिलने आए और महल के बाहर “जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल” के नारे लगाने लगे। यह सुनकर अंग्रेज़ डर गये और उन्होंने तुरंत ही दोनों लोगों को जहाज में बिठा कर वहां से भेज दिया। जब रानी को यह सब बातें पता चली तो उन्हें बहुत बुरा लगा और उन्होंने अपने पुत्र दलीप सिंह से कहा कि अब हम अपना साम्राज्य वापस लेंगे।

अंग्रेजों ने धोखे से भारतीय राजा को मार डाला।

दलीप सिंह को पता चल गया कि उनके साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है। लेकिन उसके बाद किसी को कुछ नहीं पता कि फिर क्या हुआ। फिर 1893 में पेरिस के एक छोटे से होटल में दलीप सिंह की लाश मिली। उस समय दलीप सिंह के साथ क्या हुआ और अंग्रेजों ने क्या किया। किसी को कुछ पता नहीं चल पाया। उस समय कोहिनूर “टावर ऑफ लंदन” में उपस्थित था।

जैसा कि कोहिनूर के बारे में कहा जाता था कि जो भी पुरुष इसको हाथ लगाएगा वह बर्बाद हो जाएगा, लेकिन महिलाओं को कोई नुक्सान नहीं हो सकता।

महारानी विक्टोरिया के बेटे एडवर्ड सप्तम की पत्नी महारानी अलेक्जेंड्रा ने इस कोहिनूर को अपने ताज में लगवाया। उसके बाद राजा जॉर्ज पंचम की पत्नी राजकुमारी मैरी ने कोहिनूर को अपने ताज पर धारण किया। फिर बाद में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने इसे अपने ताज में न रखकर सुरक्षित रूप से ‘टावर ऑफ लंदन’ संग्रहालय में रखवा दिया।

अब हम बात करेंगे कि कोहिनूर क्या भारत वापस आ सकता है ?

2016 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें इंग्लैंड से कोहिनूर को वापस लेने के लिए मांग की गई। फिर संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि हम कोहिनूर को भारत वापस नहीं मंगा सकते हैं और कारण बताया कि अंग्रेजों ने इसे हमसे न ही चुराया हैं और न ही छीना है। बल्कि सन्धि के अनुसार दलीप सिंह ने कोहिनूर को ईस्ट इंडिया कंपनी को अपने हाथों से सौंपा था। इसीलिए हम कोहिनूर को वापस नहीं मांग सकते और अगर यह सवाल उठता है कि कोहिनूर को भारत को वापस मिल ही जाना चाहिए तो इस तरह से तो दुनिया भर के म्यूजियम में रखे हुए दुनिया भर के सामान को वापस लेने के लिए सारे देश आपस में बहस करने लगेंगे।

संस्कृति मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम हीरे को वापस नहीं मंगा सकते। कोहिनूर हीरा पंजाब के वंशजों के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को दिया गया है यह बात भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहीं हम इसे वापस से क्लेम नहीं कर सकते।

अब आप जान गए होंगे कि भारत चाह कर भी कोहिनूर को वापस लेने की मांग नहीं कर सकता।

एक हीरे के लिए दुनिया भर के देशों ने मांग रखी।

अब पाकिस्तान ने भी याचिका दायर करी कि कोहिनूर पाकिस्तान को दे दिया जाए क्योंकि रणजीत सिंह पंजाब के रहने वाले थे और वर्तमान में पंजाब पाकिस्तान में स्थित है। इसलिए पाकिस्तान ने कोहिनूर को लेने की मांग की।
रणजीत सिंह ने अफगानिस्तान के राजा से कोहिनूर को जीता था। तो तालिबान ने भी कोहिनूर को महारानी से वापस लेने की मांग की।

इस कोहिनूर के लिए बहुत सारे देशों ने क्लेम किया। अब इस तरह के क्लेम दुनिया भर में ना हो इसलिए सभी देशों ने मिलकर 1970 में एक कन्वेन्सन पर साइन किया कि कोई भी एतिहासिक वस्तु के लिए मांग नहीं करेगा जब तक की उसे चुराया न गया हो।

अब क्या होगा कोहिनूर का?

अब बात करें कोहिनूर की तो क्या होगा अब उसका किसके पास रहेगा? महारानी एलिजाबेथ की 96 वर्ष की उम्र में देहांत हो गया। अब उनके जाने के बाद बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स को राजा घोषित किया गया। वर्तमान में कोहिनूर किंग चार्ल्स की पत्नी कैमिला पार्कर को मिलने वाला है।

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