विभिन्न स्थानों पर होली के विभिन्न नाम

विभिन्न स्थानों पर होली के विभिन्न नाम निम्नलिखित प्रकार से है :

बिहार और उत्तर प्रदेश में होली को फगुआ, फाग और लठमार होली कहते हैं।

छत्तीसगढ़ में होली को होरी के नाम से जाना जाता है |

गोवा के होली को शिमगो या शिमगा कहा जाता है।

तमिलनाडु में होली को कमान पंडिगई, कामाविलास और कामा-दाहानाम कहते हैं।

हरियाणा में होली को दुलंडी या धुलैंडी के नाम से जानते हैं।

कर्नाटक में होली को कामना हब्बा के नाम से जाना जाता है |

पंजाब में होली को होला महल्ला कहा जाता है। गुरु गोविंद सिंह ने होली को होला महल्ला का नाम दिया।

गोवा में होली को उक्कुली कहा जाता है यह पर्व वसंत के दिनों में लगातार एक महीने तक मनाया जाता है।

असम के लोग होली को फगुआ कहते हैं और इसे दो दिनों तक मनाया जाता है।

मणिपुर में होली पूरे 6 दिनों तक चलती है, जिसे ‘योसांग’ कहा जाता है।

महाराष्ट्र में होली को ‘फाल्गुन पूर्णिमा’ और ‘रंग पंचमी’ के नाम से जानते हैं।

पश्चिम बंगाल में होली को डोल जात्रा या बसंत उत्सव के रूप में मनाया जाता है |

उत्तराखंड मे होली को बैठकी या खड़ी होली के रूप में मनाया जाता है।

जयपुर की होली को शाही होली के नाम से जाना जाता है |

केरल में होली को मंजुल कुली (एक मधुर उत्सव) के रूप में मनाया जाता है, जिसे उकुली भी कहा जाता है।

लट्ठमार होली

लट्ठमार होली मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश में मथुरा के पास स्थित बरसाना और नंदगांव आदि शहरों में मनाई जाती है। लट्ठमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इसमें महिलाएं पुरुषों पर लाठी-डंडों बरसाती है और पुरुष खुद को ढाल से बचाते हैं। लट्ठमार होली का प्रारंभ राधा कृष्ण के समय से हुआ था. हर साल बरसाना की लठमार होली देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं।

फूलों की होली

वृंदावन फूलों से होली खेली जाती है | वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में फूलों का इस्तेमाल एक-दूसरे के साथ होली खेलने के लिए किया जाता है | राजस्थान के पुष्कर मे भी लोग रंगों की जगह फूलों से होली मनाते हैं |

ब्रज की होली

ब्रज में, फाल्गुन महीने में अमावस्या के पहले दिन होली शुरू होती है लेकिन उत्सव एकादशी के दिन से शुरू होता है। ब्रज में लोग 40 दिनों तक होली मनाते हैं। ब्रज में गोबर या कीचड़ की भी होली खेली जाती है |

लड्डू की होली

लड्डू होली फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बरसाना मे मनाई जाती है। श्रीजी लाड़ली मंदिर में लड्डुओं के साथ होली खेलने की परंपरा द्वापर युग से शुरू हुई थी। हर साल बरसाना के लाडली जी मंदिर में लड्डू होली खेली जाती है। लट्ठमार होली से एक दिन पहले ‘लड्डू होली’ मनाई जाती है |

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