स्वतंत्रता दिवस (कविता) - TEJPAL KUMAVAT

स्वतंत्रता दिवस (कविता) – TEJPAL KUMAVAT

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स्वतंत्रता दिवस (कविता) – TEJPAL KUMAVAT

स्वतंत्रता दिवस (कविता) - TEJPAL KUMAVAT
स्वतंत्रता दिवस (कविता) – TEJPAL KUMAVAT

देशभक्त कुर्बान हुए
तब आजादी पाई थी
वतन हमारा खुशहाल रहे
वीरों ने अपनी खून की नदियां बहाई थी

बांध कफन अपने माथे
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव ने ये कसम खाई थी
चंद्रशेखर आजाद का खून बहा
मासूम लटके थे फांसी पर
तब आजादी पाई थी

लाखों वीरों ने बलिदान दिया
देश की आन बान शान बचाने
गोलियां सीने पे खाई थी
हंस के पहन लिया फांसी के फंदे को
तब आजादी पाई थी

मातृभूमि की रक्षा खातिर
भूखे प्यासे करते रखवाली
कभी बर्फ कभी पानी में
कभी चिलचिलाती धूप में
अपना सब न्योछावर करते
फैलाते खुशियों की हरियाली

टूटा अखंड भारत था
सरहद की रेखा खींची थी
भारत को दो भागों में बांटा
जिनके चरखे से आजादी आई
उनके मुख पे चुप्पी थी

18 साल के नौजवान कुर्बान हुए
आजादी की लंबी चली लड़ाई थी
कहते अहिंसा से आजादी मिली
फिर कोन थे वो
जिन्होंने गोलियां खाई थी

खून की नदियां बही
शौर्य पराक्रम दिखलाया था
आजादी की राह के परवानों ने
विजयी ध्वज फहराया था

BY – TEJPAL KUMAVAT

आँखे बंद करके

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