सनातन मेरी पहचान - TEJPAL KUMAVAT

सनातन मेरी पहचान – TEJPAL KUMAVAT

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सनातन मेरी पहचान – TEJPAL KUMAVAT

सनातन मेरी पहचान - TEJPAL KUMAVAT
स्वतंत्रता दिवस (कविता) – TEJPAL KUMAVAT

जहाँ हर दिल मे बसते मेरे प्रभु श्री राम है,
लेकर उनका नाम होता हर शुभ काम है,
भगवा रंग जिस तिरेंगे की बढ़ाती शान है,
गर्व से कहो फिर सनातन मेरी पहचान है।

सारे जहाँ से अच्छा ये मेरा हिंदुस्तान है,
सारे जहाँ से अच्छा ये मेरा हिंदुस्तान है,

जहां पेड़ो-पहाड़ो को भी जाता है पूजा,
जहां छोटे पत्थर को भी जाता है टीका,
जहां सब धरती को भी कहते है माता,
जहां अतिथि देवो: भव: है कहलाता,

यहाँ की मिट्टी मे मिलती जाती है शक्ति,
जहां नदियों मे घुलकर मिलती है मुक्ति।

यहीं से होता सुरु हर वेद और पुराण है,
सर्व प्रथम इस धरती पर भी भगवान है,
जहां मंदिरो मे लगता ध्यान है,
जहां भागवत गीता का मिला ज्ञान है,

जहां शिवशंकर का घर कैलास है,
जहां एक ही नारा एक ही बस नाम है,
धर्म सनातन है और जय श्री राम है।

जहाँ हर दिल मे बसते मेरे प्रभु श्री राम है,
लेकर उनका नाम होता हर शुभ काम है,
भगवा रंग जिस तिरेंगे की बढ़ाती शान है,
गर्व से कहो फिर सनातन मेरी पहचान है।

BY – TEJPAL KUMAVAT

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