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Chhath Puja छठ पूजा क्यों मनाया जाता है?
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इस पावन पर्व का आरंभ कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से हो जाता है। छठ पूजा में स्त्री और पुरुष दोनों ही समान रूप से व्रत रख सकते हैं। कुछ महिलाएं पुत्र की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं और जिनके पुत्र हैं वह अपने पुत्र के कुशल मंगल रहने की कामना को लेकर इस व्रत को करती हैं छठ पूजा का व्रत इसलिए भी करते है कि अगर उनके परिवार में कोई बीमार है तो उसका स्वास्थ्य अच्छा हो जाए और उनके घर में सुख शांति बनी रहे।
इस पावन पर्व के कई नाम है जैसे छठ पर्व, डाला छठ, छटी माई, षष्टी सूर्य एवं षष्टी के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार भारत के झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पूजा नेपाल के तराई क्षेत्रों में भी मनाया जाने वाला पर्व है।
यह पावन पर्व 4 दिनों में मनाया जाता है।
पहला दिन
पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन पहले घर की सफाई कर उसे पवित्र बनाए। इसके बाद छठ व्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन को ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करें। भोजन के रुप में लौकी और चने की दाल को शामिल करें।
दूसरा दिन
दूसरे दिन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। व्रतधारी दिन भर का उपवास रखें व शाम को भोजन करें। इसे खरना कहा जाता है।
तीसरा दिन
तीसरे दिन घर पर छठ प्रसाद बनाएं जिसमें ठेकुआ और अन्य कोई भी पकवान बना सकते है। यह पकवान खुद व्रत करने वाले या उनके घर के सदस्यों मिलकर बनाएं। छठ के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तन नये साफ सुथरे होने चाहिए। शाम को पूरी तैयारी के साथ बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाएं। वर्ती के साथ परिवार के सारे लोग सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाट पर जाएं।
चौथा दिन
चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उगते हुए सूर्य की अर्घ्य दिया जाता है। वर्ती सुबह पूजा की सारी साम्रगी लेकर घाट पर जाएं और पानी में खड़े होकर सूर्य भगवान के निकलने का पूरा श्रद्धापूर्वक इंतजार करें। सूर्य उदय होने पर छठ सूर्य को गाय के शुद्ध दूध से अर्घ्य दें। फिर छठ मईया का आशीर्वाद लेने के बाद अपने सभी बड़े बुजुर्गो का आशीर्वाद लें और आखिर में प्रसाद खा कर अपने व्रत को पूरा करें।
यह मुख्य रूप से दो दिन छोटी छठ और बड़ी छठ के रूप में मनाया जाता है। जो लोग छोटी छठ से व्रत का आरंभ करते हैं वे एक दिन पहले लौकी और चने की दाल को भोजन के रूप में लेते हैं अगले पूरे दिन उपवास रखकर शाम को खीर पूरी ग्रहण करते हैं। फिर अगले दिन से निर्जला व्रत रखते हैं। जो बड़ी छठ से व्रत का आरंभ करते हैं वे भी एक दिन पहले भोजन में लौकी और चने की दाल को लेते हैं और अगले दिन निर्जला व्रत रखते हैं।
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