पङ्ख
By- VARUN SINGH GAUTAM तितली रानी घूमड़ – घूमड़करकहाँ जा रही कौन जानें ?कभी इधर गुम होती कभी उधरन जानें कहाँ वों चली रङ्ग मनाने ! कल – कल कलित पुष्प आँगन मेंपन्थ – पन्थ पङ्ख क्यों बिखेरती ?छोटी – छोटी रङ्ग – बिरङ्गी शहजादीसौन्दर्य – सी क्यारी रङ्ग फैलाएँ बढ़े चलों उस गुञ्जित किरणों …