हमारी वेबसाइट “Science ka Mahakumbh” में आपका स्वागत है। यहां पर शोभित यादव जी की कविता प्रकाशित किया जाएगा। आप सभी इसका आनंद लीजियेगा।
SHOBHIT YADAV KI KAVITA

शीर्षक:- वीर कभी शोक नहीं करते
वीर कभी शोक नहीं करते
किसी के जाने का अफसोस नहीं करते
वृक्ष से गिर जाए पत्ते तो वृक्ष रोते हैं क्या?
तुम्हारी तरह खाना छोड़ देते हैं क्या?
पत्तियों के जाने से वृक्ष की नही होती कोई हानि ।
न ही वृक्ष करते हैं तुम्हारी तरह आत्मग्लानि।।
पत्तियां चली जाए तो नहीं होता है वृक्ष का नुकसान
पत्तियां ही आ जाती हैं घास के पास
इसलिए जाने वालों को मत रखो अपने पास
उन्हें जाने दो उनके निज निवास
क्यूंकि वीर कभी शोक नहीं करते ।
किसी के जाने का अफसोस नहीं करते।।
शीर्षक:- कृष्ण नहीं अब आयेंगे
क्या कहा था तुमने कृष्ण आयेंगे,
तुम द्रौपदी हो क्या जो तुम्हे बचायेंगे।
या फिर तुम अर्जुन हो जो तुम्हारे सखा बन जाएंगे।
कलि काल चल रहा है,
कृष्ण अब नहीं आएंगे।
भटकोगे ज्ञान की खोज में दर बदर,
लेकिन कृष्ण अब गीता नहीं सुनाएंगे।
भले देव के अवतार स्वयं,
लेकिन कृष्ण लीला नहीं दिखाएंगे।
हैं दुनिया में असंख्य लोग,
लेकिन काम तुम्हारे न आयेंगे।
होंगे जो तुम्हारे हमसफर,
वहीं तुम्हे दांव पर लगायेंगे।
अबकी से अपनी रक्षा स्वयं करना पांचाली,
कृष्ण नहीं अब आयेंगे।
शोभित यादव का परिचय
शोभित यादव एक प्रसिद्ध लेखक, विचारक और युवा प्रेरणास्त्रोत हैं, जो समकालीन सामाजिक विषयों और युवाओं के मनोविज्ञान पर आधारित अपनी लेखनी के लिए जाने जाते हैं। उनकी रचनाओं में संवेदनशीलता, यथार्थ और सकारात्मक सोच का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है।
ये वर्तमान में बैचलर ऑफ साइंस की पढ़ाई लखनऊ विश्वविद्यालय से कर रहे हैं।
उन्होंने लेखन के साथ साथ कई पॉडकास्ट में प्रतिभाग कर गहन विषयों पर चर्चा भी की है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से ताल्लुक रखने वाले शोभित ने अपनी शिक्षा और लेखन यात्रा के माध्यम से युवाओं को नई दिशा देने का कार्य किया है। वह सोशल मीडिया के माध्यम से भी लाखों पाठकों के बीच लोकप्रिय हैं। उनकी किताबें प्रेम, आत्मविकास, और जीवन के गूढ़ पहलुओं को सरल शब्दों में प्रस्तुत करती हैं।
उनकी लेखनी का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि पाठकों के भीतर सोचने और समझने की क्षमता को जाग्रत करना है।