हमारी वेबसाइट “Science ka Mahakumbh” में आपका स्वागत है। यहां पर पीयूष गोयल जी की कहानियाँ प्रकाशित किया जाएगा। आप सभी इसका आनंद लीजियेगा।
PIYUSH GOEL पीयूष गोयल जी की कहानियाँ

शीर्षक:- समय बदलता हैं पर थोड़ी देर में
एक सेठ बड़े ही रहीस, गुड की आढ़त का काम था,ईश्वर की पूरी कृपा थी.परिवार में सबसे छोटा बेटा बड़े ही लाड़ प्यार में पला, जिसका नाम किशोर था.सेठ ने किशोर की शादी भी बड़े ही धूम धाम से की थी.रहीसी ने किशोर को शराब पीनी सीखा दी थी.किशोर को शादी के बाद बच्चे भी नहीं हुए, समय बीतता रहा, माता पिता की मृत्यु के बाद सब भाई अलग-अलग रहने लगे बहनें शादी के बाद अपने-अपने घर चली गई,किशोर बचपन से बड़ा ही होशियार था.शहर का नामी वकील, कुछ समय के बाद घर में बच्चों की कमी महसूस होने लगी, किशोर ने अपनी सूसराल की तरफ़ से बेटी और बेटा गोद ले लिया.किशोर रहीस वकील थे,खाना पीना उनका अपना शौक़ था.
एक दिन अचानक तबीयत बिगड़ी सब को अकेला छोड़ चले गये.अचानक से चले जाना पूरे परिवार पर जैसे पहाड़ सा टूट गया, सब बिखर गया, बेटे ने तो अभी स्कूल भी जाना शुरू नहीं किया था, मानो सब कुछ ख़त्म हो गया, बिना बतायें किशोर की पत्नी अपने दोनों बच्चों के साथ दूसरे शहर चली गई, किसी तरह से पता लगा कि इस शहर में रह रही हैं.किसी भी भाई ने कोई सहायता नहीं की. जैसे तैसे किशोर की पत्नी ने अपने दोनों बच्चों को पढ़ा लिखा कर काबिल बना दिया. किशोर ने जो बेटी गौद ली थी इतनी सुंदर थी कि उसको किसी ने अपने बेटे के लिए माँग लिया, किशोर की पत्नी ने पूरी जानकारी करने के बाद बिटिया की शादी कर दी, बिटिया अपने परिवार के साथ ख़ुशी से रह रही हैं.बेटा अपनी मेहनत से कंप्यूटर इंजीनियर बन गया,अच्छे वेतन पर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत हैं.
बेटे ने एक दिन मम्मी को एक गाड़ी गिफ्ट की और दो साल बाद बिना बतायें मम्मी के पैर पकड़ कर बोला चलो मेरे साथ,एक अच्छी सी सोसाइटी में ले गया और अपनी मम्मी को 2BHK फ्लैट की चाबी दे दी, और अचानक से अपनी बेटी दामाद को देख मम्मी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था.सभी ने वही पर एक ग्रुप फोटो क्लिक की.
शीर्षक:- आँसू अभी तक रुके नहीं ( पहलगाव)
बलबीर( काल्पनिक),धार्मिक प्रवृत्ति वाला इंसान,अपने माता पिता के साथ हरियाणा के एक गाँव में रहता था.बलवीर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में एक अच्छी पोस्ट पर कार्यरत था.घर में सिर्फ़ एक छोटी बहन जो १२ वीं कक्षा में पढ़ती थी. बलबीर घर पर ही आया हुआ था,रविवार का दिन था,पापा ने बलवीर को फ़ोन करके कहा बेटा घर पर जल्दी से आ जाओ,कुछ लोग तुम्हें देखने आए हैं.बलवीर दोस्तों को बोलकर,मैं मिलता हूँ थोड़ी देर में घर पर कुछ लोग मिलने के लिए आए हुए हैं.
घर पर पहुँच कर देखा की कुछ लोग उसी का इंतज़ार कर रहें हैं.बलवीर समझ चुका था,बलवीर ने पैर छूकर आशीर्वाद लिया, क़रीब आधा घंटे की मुलाक़ात के बाद, देखिए रिश्ता हमे पसंद हैं,आप लोग भी लड़की देखने का प्रोग्राम बना लो,आख़िर शादी का दिन तय हो गया,दोनों तरफ़ खुशियों का माहौल था ….बलवीर की शादी बड़े ही धूम धाम से हुई. समय बीतता रहा,एक दिन बलवीर अपने माता पिता से बोला,हम लोग घूमने जाना चाहते हैं,माता जी तुरंत बोली हाँ हाँ बेटा जरूर घूमने जाओ,हम दोनों भी सोच रहे थे और तेरे से कहने ही वाले थे,पिता जी एक दम से बोले बेटा कहाँ जाने का प्रोग्राम बना रहे हो,पिता जी हम लोग कश्मीर जाने की सोच रहें हैं,माता जी व पिता जी दोनों ने कश्मीर जाने के लिए मना कर दिया, हालात ठीक नहीं हैं वहाँ न जाकर कहीं और का प्रोग्राम बना लो,पर बलवीर नहीं माना पिता जी अब ऐसी कोई बात नहीं हैं, हालात तो ठीक हैं.
बलवीर एक सप्ताह का प्रोग्राम बना कर कश्मीर पहुँच गए,सब ठीक ठाक चल रहा था. होटल में पहुँच कर प्रोग्राम बना लिया की कल पहलगाँव घूमेंगे,होटल से जैसे ही बाहर निकले,बहुत जोर-जोर से धमाके की कई आवाजें सुनाई दी चारों तरफ़ अफ़रा तफरी का माहौल,किसी को कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था ,चारों तरफ़ पुलिस ही पुलिस माइक पर अनाउंस हो रहा था जो जहाँ भी हैं वही रहें आतंकी हमला हुआ हैं. होटल में लगे टीवी पर न्यूज़ से पता चला की पाकिस्तान ने आतंकी हमला किया हैं, करीब २०-२५ लोगो की मृत्यु हुई हैं और उन लोगो को निशाना बनाया गया जिनकी नई नई शादी हुई थी.
बलवीर की पत्नी बलवीर के गले लग कर रोने लगी,बलवीर की आँखों में भी आँसू थे, काश हम भी पहले तैयार हो जाते ….
टीवी पर न्यूज़ देखकर गमगीन से सोच रहे थे घर पर पिता जी माता जी व बहन का क्या हाल हो रहा होगा, फ़ोन भी नहीं लग रहे थे,कल रात ही बताया था हम लोग पहलगाम पहुँच गए हैं. थोड़ी देर बाद होटल में स्थानीय पुलिस को आते हुए देखा,पुलिस ने पूरे होटल की तलाशी ली,दोनों के आधार कार्ड की फोटो भी ली,दोनों के मोबाइल नम्बर व घर के भी मोबाइल नम्बर लिए. बलवीर की पत्नी पुलिस वालो से बोली भैया हमारा एक काम कर दो,एक तो हमे सुरक्षित रेलवे स्टेशन पहुँचवा दो,उनमें से एक पुलिस वाला बोला हाँ हाँ आप लोग चिंता न करे सब प्लान हो रहा हैं आपको ही नहीं सभी को सुरक्षित पहुँचा दिया जाएगा, भैया दूसरा एक घर पर फ़ोन करवा दो, पुलिस वाले ने मना कर दिया अभी नेटवर्क नहीं हैं,आप लोग चिंता न करे हम लोगो ने फ़ोटोज़ आधार कार्ड व मोबाइल नम्बर ले लिए हैं जैसे ही नेटवर्क आयेगा फ़ोटोज़ के साथ सब लोगो के घर सूचित कर दिया जाएगा.
और हाँ एक चीज का ध्यान रखना जब कभी भी आप लोगो की जरूरत पड़ेगी पूछताछ की आप लोगो को सहयोग करना होगा, बलवीर बोला सर जब भी आप लोगो को हमारी जरूरत पड़ेगी हम पूरा सहयोग करेंगे. किसी तरह से बलवीर अपने घर पहुंचा सभी लोग बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे( परिवार वालों को पहले ही सूचित कर दिया गया था). बलवीर माता पिता से व बहन भाभी से गले लग कर बहुत रोयें,पिता जी आप सही कह रहे थे. बलवीर ने बताया की हम वहाँ से कुछ ही दूरी पर थे, मैं तो जल्दी तैयार हो गया था तुम्हारी बहू की वजह से लेट हो गए और बच गए,जैसे जैसे मोहल्ले वालो को पता चलना शुरू हुआ सब मिलने आने लगे, कई न्यूज़ वाले भी आए. एक दिन एक फोन आया,पूछने लगा आप बलवीर बोल रहे हैं और आप घर पर ही है. हाँ जी मैं घर पर ही हूँ आप कौन, फोन कट गया.
थोड़ी देर बाद घंटी बजी, देखा तो चार पुलिस वाले बाहर खड़े थे, बलवीर ने स्वागत किया आओ सर आओ और अपने ड्राइंग रूम में ले गया,घर के सभी लोग भी आ गए, पुलिस वालो ने सिर्फ़ पानी पिया पूछताछ की और पूरी पूछताछ की वीडियोग्राफी भी की.
और अंत मैं बलवीर ने यही बोला सर हम लोग आप लोगो की वजह से वापिस आ गए और हाँ अपने देश की तीनों सेनाओं को भी सलाम ( मेरे पास शब्द नहीं हैं) करता हूँ जिनकी वजह से पूरा देश सुख और शांति से रह रहा हैं, और हाँ सर जब भी आप लोगो को हमारी जरूरत पड़े आपका हमेशा स्वागत हैं. पुलिस वालो ने विदा ली और पूरे परिवार की आंखों में आँसू थे. बलवीर बोला माता जी और पिता जी आप सही कह रहे थे.
शीर्षक:- हीरे की अँगूठी
एक ३४-३५ साल के एक सज्जन बड़े ही सीधे साधे,लेकिन अपने सिद्धांत के पक्के थे, नौकरी की तलाश में शहर के बीच से गुज़रे जा रहे थे. रास्ते में एक मंदिर पड़ा, मत्था टेक कर जैसे ही आगे बढ़े, एक हीरे की अंगूठी पा गई,ये सोच कर उठा ली की जिसकी होगी उसको दे दूँगा. यह सोच कर घर की ओर चल दिए समय गुजरता रहा, अब वो सज्जन ये सोचने लगे कि ये अंगूठी जिसकी हैं उसको कैसे दी जाए. सज्जन बेरोज़गार थे, एक दिन विचार आया की क्यूँ न एक चाय की दुकान खोल लूँ और एक पेपर चिपका दूँ जिस पर लिख दिया जाए की मुझे एक अंगूठी पाई हैं जिसकी हैं वो मुझ से ले जाए लेकिन सब कुछ बताना होगा कहा पर खोई थी, दिन क्या था जो आएगा और बताएगा उसको दे दूँगा.
उस सज्जन ने ऐसा ही किया दुकान खोल ली और एक पेपर लिख कर लगा दिया , क्यूँकि सज्जन अंगूठी अपने पास नहीं रखना चाहता थे.समय गुजरता गया दुकान इतनी चली की उसने एक बेहतरीन होटल व एक भव्य मकान भी बना लिया, सज्जन ने उस अंगूठी को एक डिब्बे में रख कर काउंटर पर लगा दिया. एक दिन सज्जन सोचने लगा कि इस अंगूठी को दूँ या ना दूँ अपने पास ही रख लूँ जब से मुझे मिली हैं मेरा काम बहुत बढ़िया चल गया, लेकिन सज्जन सिद्धांत के पक्के थे नहीं जिसकी हैं उसको देनी हैं. एक दिन क्या हुआ, एक ५०-५५ साल की महिला उस होटल में खाना खाने आई, जैसे ही पैसे देकर बाहर निकल रही थी उस अंगूठी पर नज़र पड़ी, तुरत उस सज्जन से बोली ये अंगूठी तो मेरी हैं और जब से खोई हैं मेरा सब कुछ ख़त्म हो गया हैं.
भैया, बहुत ढूँढा पर नहीं मिली आज मुझे मिल गई, मैं देखते ही पहचान गई भैया, ठीक हैं बहन मेरी बात सुनो आपके परिवार में कौन -कौन हैं बहन, भैया मैं मेरा बेटा व बहु हम तीनो एक छोटे से मकान में रहते हैं हमारा सब कुछ ख़त्म हो गया भैया आज हमारे पास कुछ भी नहीं हैं मुझे होटल में खाना खाने के लिए कई बार सोचना पड़ा, हो सकता हैं भगवान को मुझे अंगूठी देनी थी, वो सज्जन बोले बहन एक बात बताऊँ जिस दिन से मुझे ये अंगूठी मिली हैं मेरी क़िस्मत बदल गई हैं, आप अपनी अंगूठी ले जाओ पर मेरे एक दो सवाल के जवाब दे दो महिला बोली जी भैया आप पूछ लो, क्या आप बता सकती हैं कितने साल पहले आपकी अंगूठी खोई थी और कहा खोई थी हाँ भैया आज से क़रीब २० साल पहले मैं मंदिर गई थी( मुझे तो दिनांक भी याद हैं) वही सीढ़ियों से उतरते हुए गिर गई थी ओर मेरी अंगूठी निकल गई बहुत ढूँढा पर नहीं मिली पर आज मिल गई.
सज्जन ने एक दम से काउंटर में से डिब्बा निकाल कर महिला को अंगूठी देने लगे, महिला ने लेने से मना कर दिया, महिला कहने लगी मुझे संतुष्टि हैं भैया मेरी अंगूठी आख़िर मिल ही गई और भैया तुमने एक बात बोली जब से ये अंगूठी आपको मिली आपका जीवन बदल गया, भैया अब मैं न ले पाऊँगी, सज्जन की आखों मे आंसू आ गए और हाथ जोड़ कर महिला से कहा, मेरे कोई बहन नहीं हैं आज से तुम मेरी बहन हो और अब तुम हमेशा के लिए हमारे साथ हमारे मकान में ही रहोगी, महिला भी बोली मेरे भी कोई भाई नहीं हैं आज से तुम भी मेरे भाई हो. दोनो भाई बहन धूम- धाम से रह रहे हैं … और वो अंगूठी आज भी होटल के काउंटर में रखी हुई हैं.
शीर्षक:- ११ मोतियों की माला
११ मोतियों की माला——एक जंगल में एक सिद्धि प्राप्त ऋषि रहते थे.आस -पास के लोग उनसे मिलने जाया करते थे.ऋषि की कुटिया के पास एक कुआँ था.कुँए की एक ख़ासियत थी जो भी कोई पानी पीने जाता बाल्टी के साथ एक मोती भी ज़रूर आता.अक्सर आस-पास के लोग इस कारण से उनसे मिलने जाते थे.एक क़स्बे में एक ज्ञानीजन रहते थे,उनको भी पता चला की जंगल में एक पहुँचे हुए ऋषि रहते हैं,और उनकी कुटिया के पास एक कुआँ और पानी के साथ-साथ एक मोती भी निकलता हैं और उस पर कुछ लिखा होता हैं.मन में जिज्ञासा हुई की मैं भी मिलकर आऊँ उन संत से,घर से बिना बताएँ चल दिए संत से मिलने,संत से मिले चरण स्पर्श किये,बातें हुई संत की बातों से प्रभावित हुआ,संत से आज्ञा लेकर पानी पीने के लिए कुँए की तरफ़ चल दिए,बाल्टी में पानी के साथ मोती को देखकर जिज्ञासा शांत हुई.
विश्वास भी हो गया लोग सही कह रहे थे.पानी पीने के बाद जैसे ही मोती को हाथ में लिया उस पर लिखा था “अहंकारी” ज्ञानीजन मन ही मन सोचने लगा इसको कैसे पता.संत से आज्ञा लेकर चल दिए वापिस घर की तरफ़ ये सोचते-सोचते की उसको कैसे पता चला … ख़ैर … अब अहंकार ख़त्म करके फिर मिलने जरुर जाऊँगा.समय गुजरता रहा फिर एक दिन चल दिए संत से मिलने, कुएँ से जैसे ही बाल्टी से पानी पीना शुरू किया एक और मोती मिला लिखा था,”क्रोध” फिर सोच में पड़ गया. इसको कैसे पता मैं बहुत ज़्यादा क्रोध करता हूँ.ऐसे ही हर बार होता रहा “मद”,“लोभ”,”आलस्य”,”छल”,”हठ”,”ईर्ष्या”…..आदि के मोती घर ले जाते रहे.ज्ञानीजन को अपने आप पर बड़ा ही रोष हुआ इतने दोष लेकर जी रहा हूँ …. नहीं,नहीं मुझे इन दोषों को दूर करना हैं … क़रीब एक साल बाद फिर ज्ञानीजन संत की कुटिया पहुँच गए.
संत के पैर छूकर वही संत के पास बैठ गये.संत से बहुत देर बातें की,संत बोले जाओं कुएँ के पास… ज्ञानीजन संत से बोले नहीं अब मुझे नहीं जाना कुएँ के पास …. अब मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं हैं.संत जानते थे मुझे इसको क्या देना हैं.संत अपनी कुटिया में गए और एक माला ज्ञानीजन के गले में डाल दी जिसमें ११ मोती थे और जिन पर हर मोती पर अलग- अलग लिखा था “मुझे ज्ञान हो गया अब मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत नही”.सच बताऊँ मैं तो कुएँ पास इस लिए गया था मुझे भी सोने के मोती मिल जाएँगे और मेरी जिज्ञासा क्या सच में ही कुएँ से मोती निकलते हैं ,लेकिन मुझे क्या पता था मोती के साथ-साथ गुण व अवगुण भी पता चलते हैं.चलो जिज्ञासा के साथ-साथ मुझे मेरे अवगुणों का भी पता चल गया और मैंने इन अवगुणों को अभ्यास से दूर कर लिया.