हमारी वेबसाइट “Science ka Mahakumbh” में आपका स्वागत है। हिंदी के प्रश्नों का एक सेट यहां दैनिक आधार पर प्रकाशित किया जाएगा। यहां पोस्ट किए गए प्रश्न विभिन्न आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं (जैसे एसएससी, रेलवे (एनटीपीसी), बैंकिंग, सभी राज्य परीक्षाओं, यूपीएससी, आदि) में सहायक होंगे।
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वाक्य की परिभाषा भेद और उदाहरण
दो या दो से अधिक पदों के सार्थक समूह को, जिसका पूरा अर्थ निकलता है, वाक्य कहते हैं।
उदाहरण :
‘सत्य कड़वा होता है ।’ एक वाक्य है क्योंकि, इसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है किन्तु ‘सत्य होता कड़वा’ वाक्य नहीं है क्योंकि, इसका अर्थ नहीं निकलता है।
वाक्य भेद
वाक्य भेद कई प्रकार के होते है।
(क) रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन भेद होते हैं-
1. सरल वाक्य
2. मिश्र वाक्य
3. संयुक्त वाक्य
(ख) अर्थ की दृष्टि से वाक्य के आठ भेद होते हैं-
1. विधिवाचक
2. निषेधवाचक
3. आज्ञावाचक
4. प्रश्नवाचक
5. विस्मयवाचक
6. सन्देहवाचक
7. इच्छावाचक
8. संकेतवाचक
रचना की दृष्टि से वाक्य भेद
रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं :
सरल वाक्य
जिन वाक्य में एक ही क्रिया होती है और एक कर्ता होता है, ये साधारण वाक्य कहलाते है। जैसे-
1. मुकेश पढ़ता है।
2. राकेश ने भोजन किया।
मिश्र वाक्य
जिन वाक्यों में एक मुख्य या प्रधान वाक्य हो और अन्य आश्रित उपवाक्य हों, उन्हें मिश्रित वाक्य कहते हैं। जैसे-
1. जो गरीबों की सहायता करते हैं वे धर्मात्मा होते हैं।
2. उसने परिश्रम किया ताकि परीक्षा उत्तीर्ण करे।
संयुक्त वाक्य
जिन वाक्यों में दो-या दो से अधिक सरल वाक्य समुच्चयबोधक अव्ययों से जुड़े हों, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते है। जैसे-
1. करो या मरो।
2. एक पुस्तक चाहता था और वह उसे मिल गई।
कर्ता और क्रिया के आधार पर वाक्य भेद
कर्ता और क्रिया के आधार पर वाक्य के दो भेद होते हैं।
1. उद्देश्य
2. विधेय
उदहारण – विनीत जयपुर में रहता हैं।
इसमें उद्देश्य हैं – विनीत
और विधेय हैं – जयपुर में रहता हैं।
अर्थ की दृष्टि से वाक्य भेद
अर्थ की दृष्टि से 8 प्रकार के होते हैं:
(1) विधिवाचक वाक्य: जिससे किसी बात के होने का बोध होता है। जैसे:
मेरा भारत महान है।
राम के पिता का नाम दशरथ है।
(2) निषेधवाचक वाक्य: जिससे किसी बात के न होने का बोध होता है। जैसे:
मैंने चाय नही पी।
मैंने खाना नहीं खाया।
(3) आज्ञावाचक वाक्य: जिस वाक्य से किसी तरह की आज्ञा का बोध हो, उसे आज्ञावाचक कहते हैं। जैसे:
कृपया बैठ जाइये।
कृपया शांति बनाये रखें।
(4) प्रश्नवाचक वाक्य: जिस वाक्य से प्रश्न किए जाने का बोध हो, उसे प्रश्नवाचक कहते हैं। जैसे:
भारत का क्षेत्रफल कितना है?
राम के पिता कौन है?
(5) विस्मयवाचक वाक्य: जिस वाक्य से आश्चर्य, दुख अथवा सुख का बोध होता है। जैसे:
हाय ! मैं लुट गया !
ओह! कितनी ठंडी रात है।
अहा! कितना सुन्दर उपवन है।
(6) सन्देहवाचक वाक्य : जिस वाक्य से किसी बात के सन्देह का बोध होता है। जैसे:
उसने देखा होगा।
मैंने कहा होगा ।
(7) इच्छावाचक वाक्य: जिस वाक्य से किसी प्रकार की इच्छा या शुभकामना का बोध होता है। जैसे:
तुम्हारा मंगल हो ।
भगवान करे सब सकुशल वापस आए।
भगवान तुम्हें दीर्घायु करे।
(8) संकेतवाचक वाक्य : जिन वाक्यों में किसी संकेत का बोध होता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे:
मनोज का मकान उस दिशा में है।
सोनु उधर रहता है।
उपवाक्य
उपवाक्य – ऐसा पदसमूह, जिसका अपना अर्थ हो, जो एक वाक्य का भाग हो और जिसमें उदेश्य और विधेय हों, उपवाक्य कहलाता हैं।
उपवाक्यों के आरम्भ में अधिकतर कि, जिससे, ताकि, जो, जितना, ज्यों-त्यों, चूँकि, क्योंकि, यदि, यद्यपि, जब, जहाँ इत्यादि होते हैं।
उपवाक्य भेद
उपवाक्य के 2 भेद होते है।
1. प्रधान उपवाक्य
किसी वाक्य में जो उपवाक्य किसी पर आश्रित नहीं होता अर्थात् स्वतंत्र होता है एवम् उसकी क्रिया मुख्य होती है, वह मुख्य या प्रधान उपवाक्य कहलाता है।
2. आश्रित उपवाक्य
आश्रित उपवाक्य दूसरे उपवाक्य पर आश्रित होता है। आश्रित उपवाक्य क्योंकि, कि, यदि, जो, आदि से आरंभ होते हैं।
आश्रित वाक्य के वाक्य भेद
आश्रित वाक्य 3 प्रकार के होते हैं,
1. संज्ञा उपवाक्य
2. विशेषण उपवाक्य
3. क्रिया – विशेषण उपवाक्य
1. संज्ञा उपवाक्य
जो आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया के कर्ता, कर्म अथवा क्रिया पूरक के रूप में प्रयोग हो, उन्हें संज्ञा उपवाक्य कहते हैं। संज्ञा उपवाक्य के आरंभ में कि शब्द होता है। जैसे:
मैं नहीं जानता कि वह कहां है।
वह कहां है। यह विशेषण उपवाक्य हैं।
2. विशेषण उपवाक्य
जो आश्रित उपवाक्य मुख़्य उपवाक्य की संज्ञा शब्द अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बतलाता हैं वह विशेषण उपवाक्य कहलाता हैं।
जैसे:
जो किताब वहाँ रखी हैं वह मुझे पुरस्कार स्वरूप मिली हैं।
यहाँ जो किताब वहाँ रखी हैं यह विशेषण उपवाक्य हैं।
3. क्रिया -विशेषण उपवाक्य
जब आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बतलाता हैं तब वह क्रिया -विशेषण उपवाक्य कहलाता हैं।
जैसे:
जब आग लगती है तभी धुआं उठता है।
जब आग लगती है। यह क्रिया -विशेषण उपवाक्य हैं।
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