VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA
VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA माँ रोती है,उनकी बेबसी है उजड़ती हुई उनकी सजी दुनिया उनके अश्रुओं पर बुने हुयेमानवीय संवेदनाएँसब रौंद दी जाती है उनके निष्प्रभझुर्रियाँ होते देह उनके विरक्त होते संसारप्रतीक्षा की घड़ियाँरुक गई हैमानोंउम्र का ढलना भी अभिशाप हैधीरे-धीरे… मां उड़ गई! बेटी के हिस्से माँ नहीं आईबहुत रोती है। परिचय:-वरुण सिंह …