शून्य हूँ
By- VARUN SINGH GAUTAM दर्द दिलों में दृग अंगारों केबिखरी मैं दास्ताँ के पन्नों सेलौट आ तन्हा पतझड़ व्योम केपिक वसन्त प्रतीर के दृश्य अतुल स्वप्निल धार असीम तुहिन मेंबढ़ चला क्षितिज किरणों में , मैं समीरमत रोक मुझे प्रस्तर पन्थ तड़ित्मैं दीवाने मीत स्वप्न तमन्नाओं के तरणि तपन शृङ्गार रग – रग मेंद्विज प्रतिबिम्बि …