Varun Singh Gautam

कंपकंपी

कंपकंपी By- VARUN SINGH GAUTAM ठिठुर-ठिठुर रहतेघर के अन्दर हमकम्बल के अन्दरचिपके-चिपके हमदेखो पानी भी ठंडाये भोजन भी ठंडाकरंट-सी लगतीऊंगली में, तन मेंअंगीठी को पकड़खुद को गर्म करतेसुबह-सुबह नहाने सेडरते भी, बचते हैं हमदुबूक-दुबूक रहतेमोटे-मोटे कपड़ों मेंऊपर सर पे टोपी लगानीचे पैरों में जूता पहनशरीर को कंपकंपी सेखुद को बचाते हम। S. NO. VARUN SINGH …

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ठिठुरन

ठिठुरन By- VARUN SINGH GAUTAM ठंड – ठंड हवा के झोंकेआई ये शीतलहर चहुंओरलगती जब लहर-लहर केबदन पड़ जाती शिथिलसब घर-घर कोने में दुबकेमुँह से कुछ न कुछ बोलते ठिठुरन, कंपकंपी होने को हैरोएँ – रोएँ बढ़ उठ खड़े होतेचिपके – चिपके बिस्तर से हमदुबूक – दुबूक ओढ़े कंबल में उजले ओस बून्द गिरे ऊपर …

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कवित्त 2

कवित्त 2 By- VARUN SINGH GAUTAM तुम्हारी वासनाओं केतुझे पाने कोतुझमें ही समाना प्रिय मुझे। तुम्हारी शरीर के प्रश्नचिह्न परस्पर्श होने की ख्वाहिशमन‌ में, भावनाओं मेंगंग – सी बहना प्रिय मुझे। बिन्दुत्व मिलन को हैप्रणत्व नव्यसृजन चले ओरमैं और तू संगम कोदो विपरीत शरीर प्रिय मुझे। तू प्रिय मैं तेरी प्रियवरतन्हां गंधर्व इनके कौन!तेरी मेरी …

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कवित्त

कवित्त By- VARUN SINGH GAUTAM एक बात हैहृदयों मेंचाहों मेंपर कैसे कहूं ?मैं खुद-ब-खुदअसमंजसबरकरार इसतलक तकयाद नहींबेकसूर थेहम कभीया अभी-अभी…..!अंतर्द्वंद्व हैईच्छा भीपर पूछूं क्या ?किससे और कहाँकैसे या क्योंकिसके या परन्तुकिसके लिए न….हाँ हाँ हाँ हाँ हाँहैं कौनयाद नहींपर बात हैकसर-सीहै किन्तुरहस्यमयी औरअश्रुपूर्ण ये तलकगहराईयों के तह तक। S. NO. VARUN SINGH GAUTAM 1 एक …

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कवि और कहानीकार

कवि और कहानीकार VARUN SINGH GAUTAM S. NO. VARUN SINGH GAUTAM 1 एक घड़ी या दो घड़ी…. 2 एक पैग़ाम ( ग़ज़ल ) 3 मैं हूँ निर्विकार 4 पवित्र बन्धन 5 मैं तड़प रही 6 हरीतिमा स्वंहृदय में 7 विजयपथ 8 मेरे गुरुवर 9 शृङ्गार अलङ्कृत 10 विकल पथिक हूँ मैं 11 अकेला 12 साँझ …

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फोन तो फोन है

फोन तो फोन है By- VARUN SINGH GAUTAM फोन तो फोन हैफेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटरके नामयूट्यूब की जवानी हैमैसेज का हालवाट्सएप टिपीर-टिपीरलिंकिंन जाॅब के तलाशक्रोम गूगल ब्राउज़रबोलूं तोखोजूं बाबा हैं…..टेलिग्राम चैनल हैकू बना नया हालकोरोना तो मीट पर हीजीमेल सन्देश भेजने केचाल, ढ़ाल, कहूं तो मनहारGPay ले चलूं बाजारगूगल मैप्स से खोजूं राहड्रीम ११ स्वप्न सी …

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आत्मशून्य मैं

आत्मशून्य मैं By- VARUN SINGH GAUTAM आत्मशून्य मैंहोना चाहता कबसे!एक वक्त विस्मृत-सीस्मृतियाँ की गीतगूंजायमान है.. निरन्तर,इसे समरशेष बचे हैंधनञ्जय के स्वर!देवदत्त नामक शंखनादघनघोर भूतलाकाश‌ तकप्रतीतमान् प्रदीप्त-सीदेखो कोई सज है… शिथिल इन्द्रियोंजाग्रत करइन्द्रियां भी भरीकिस उच्चट् को नहींउच्छाह में कहोपर, पर बदन प्रियया वदनपरिणीता पान हैया पुरूष…. S. NO. VARUN SINGH GAUTAM 1 एक घड़ी या …

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सब भूलेंगे जरूर

सब भूलेंगे जरूर By- VARUN SINGH GAUTAM दिन / रात एक दिन कटेंगें जरूरमंजिल भी आएंगीसब भूलेंगे जरूरएक दिन सफर के रास्तेख़त्म होंगें जरूर किसकी तलाश हैं ?अपने शाश्वत आकक्षाओं केमिटा दे इन्हें, थोड़ा आनन्द लेंइन भुवनों के अभिलाशाओं को। इंतजार है वक्त के चाह कीक्यों, किसलिए, किसके लिए !वर्तमान है इसी के आमंत्रण मेंतू …

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दीवाली पर विशेष – VARUN SINGH GAUTAM

VARUN SINGH GAUTAM

VARUN SINGH GAUTAM की ओर से आप सभी को दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं चांदनी का ख़्वाब देखोप्रभाती नभ में हो तार-तारबहे पवन प्राची की ओरदिव्य ज्योति जगे तार-तार दीपों की लगी लंबी कतारखुशियों का बेला अपरंपारजिंदगी की रौशनी बेशुमारसमृद्धि और शोहरत अपार स्वप्नों – ख्वाबों के मेले मेंमेरे लगे नयन दो – चार तानदिव्यप्रभा के …

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VARUN SINGH GAUTAM

VARUN SINGH GAUTAM ALL POEM LIST VARUN SINGH GAUTAM S. NO. VARUN SINGH GAUTAM 1 एक घड़ी या दो घड़ी…. 2 एक पैग़ाम ( ग़ज़ल ) 3 मैं हूँ निर्विकार 4 पवित्र बन्धन 5 मैं तड़प रही 6 हरीतिमा स्वंहृदय में 7 विजयपथ 8 मेरे गुरुवर 9 शृङ्गार अलङ्कृत 10 विकल पथिक हूँ मैं 11 …

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ये सात लम्हे कैसे बीत गए नवोदय के

VARUN SINGH GAUTAM

By- VARUN SINGH GAUTAM बहुत रोना आता है नवोदय छोड़ने का मन नहीं करता है।आँसू भी गिर आएँ, बहुत सारा….. अब आखिर चंद दिन शेष बचे। छोड़ दिया हूँ नवोदय के महफिल को, रो – रो के…. कुछ शब्द प्रस्फुटित हो गए हैं शेष शब्द नीचे हैं पढ़े और कृतार्थ करें ऐ नवोदय……तुम्हारे ख्वायों के …

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शोणित धार

VARUN SINGH GAUTAM

By- VARUN SINGH GAUTAM दिन – दिन बितते तिरते – तिरते तिमिर कोकोई आमद तो कोई होता निर्वाणजीवन क्षणभङ्गुर – सी न रहता तन कोफिर भी होता हीन क्यों मानव इस फण के ? तम भी ढ़ुलकती आती भोर – विभोर के खगरवि भी क्षितिज प्रतीची से लौटती आती नभ कोजग करती हुँकार नतशिर सदा …

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वाह रे चीन….!

By- VARUN SINGH GAUTAM वाह रे चीन….!दुनिया कोरोना से कराह रहीकोरोना का पैदाइशवुहान जश्न मना रहामुफ़लिस की मृत्यु की तादादकलेवर अंत्येष्टियाँ हो रहीकहीं ऑक्सीजन नहींकहीं देने पर रही रिश्वतआर्थिक दोहन की पुरोगामीपारासिटामोल व एजिथ्रोमाइसिन की किल्लतश्मशान हो रही देवालयअंतिम संस्कार भी नसीब नहींकहीं है चुनाव जीतने का जश्नकहीं विद्यार्थी का ख़ञ्जर भविष्यस्वास्थ्य कर्मी की नुकुरबाजीबन …

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गर्मी उफ़ रे गर्मी

VARUN SINGH GAUTAM

By- VARUN SINGH GAUTAM गर्मी, गर्मी कितनी गर्मीइतना तू क्यों बरसती गर्मी!पानी भी, उफ़तुरंत गरम हो जाताठंड – ठंड पीने के लिएजी बहुत ललचाता…पसीने से तरबतरशरीर से भीदुर्गन्ध आने लगतीखूब जोर बरस…मिलता सुकून बससुबह और शामहमेशा रहता बसकहर ही कहर बस कहरबिजली के गुल होने सेहो जाते हम परेशानऊपर – ऊपर चलता पंखाघूम घनाघन घूम…आइसक्रीम …

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कहर

By- VARUN SINGH GAUTAM कब थमेगा कोरोना का कहरजग कर रही है हाहाकारकहीं पर गाड़ रहें ढ़ेर भरी लाशेंकहीं हो रहीं दाह संस्कारकोरोना के देवारि सेआखिरी साँसे गिनता भरोसा किसकाआँसू में भी औसत तलाश रहें लोगगरीब को मरते तमाशा देख रहें लोगमदद करने के बजाय भाग रहें लोगबढ़ती जा रही मुर्दों का शहरकहीं उपहास से …

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