सोनू कृष्णन के जन्मदिन पर कविता

सोनू कृष्णन के जन्मदिन पर कविता

By- SONU KRISHNAN

मेरे महाकाल , शिवशंकर , भोलेनाथ

वही सूरज,वही सवेरा ,
फिर भी कुछ भिन्न है ।
कुछ तो खास दिन है ,
क्योंकि आज मेरा जन्मदिन है ।।

मेरा माता-पिता ही जान है ,
मेरा गुरु ही भगवान है ।
मेरा उम्मीद इस जहान है ,
मेरी मानवता ही ईमान है ।।

5 मई को था मुझे इंतजार ,
आज वह दिन आया है ।
मेरे लिए है बड़ा खास दिन ,
क्योंकि आज ही मेरा जन्मदिन ।।

मेरा मंजिल का भी हार होगा ,
एक दिन मेरा भी नाम होगा ।
मेरा जन्मदिन के ही दिन ,
सारे विश्व में धूमधाम होगा ।।

SN कविता /कहानी
1मेरे महाकाल , शिवशंकर , भोलेनाथ
2सबसे प्यारा तिरंगा हमारा
3महीना है सावन का
4गुरु का गौरव
5कारगिल युद्ध
6यह है परीक्षा
7सूर्य
8घड़ी
9तोता

कविता लिखने का मन मुझे तब से करने लगा , जब मैं लगभग बारह वर्ष का था। मेरा कविता लिखने का कारण यह भी था की जब मुझे शिक्षक पढ़ाते थे कि लेखक का जन्म इतना ईo में हुआ है , मतलब आज से 200-400 साल पहले हुआ है और हमलोग आज भी उनकी जन्म-मृत्यु के बारे में पढ़ रहे हैं । फिर भी आज उनको याद किया जाता है। तब से मुझे लगने लगा कि मैं भी कविता- कहानी लिखूंगा।

मुझे यह याद है कि मैंने वर्ग प्रथम से लेकर वर्ग तृतीया तक अपने वर्ग में सबसे प्रथम अंक प्राप्त किये थे। उसके बाद जब मैं चौथी कक्षा में था , तब मुझे किसी बच्चे के द्वारा गिराए जाने के कारण मेरा हाथ टूट गया । जिससे मुझे काफी गरीब होने के कारण मेरा जिंदगी और पढ़ाई में नुकसान हुआ। फिर उसके बाद मैं अपने ननिहाल में ही रहकर पढ़ाई करने लगे। वहां पढ़ाई करने के बाद मै अपने कक्षा पांचवी और षष्ठी में द्वितीय अंक से उत्तीर्ण हुए थे । इसी दौरान मेरे विद्यालय में कविता प्रतियोगिता भी हुआ था और इसी प्रतियोगिता में मुझे सर्वश्रेष्ठ कविता लिखने के बदले पुरस्कार भी मिला तथा कुछ लब्बज भी कहा गया था। जिससे मैं अतिप्रसन्न होकर मुझे कविता लिखने का भी शौक आ गया ।

फिर कुछ वर्षों के बाद पूरे दुनिया में कोविड-19 नामक बीमारी पूरे देश भर में हाहाकार मचाया हुआ था । इस बीमारी से काफी लोग मर रहे थे , इसी डर की वजह से मुझे भी अपने गांव आना पड़ा था। वहां पर मुझे गरीब परिवार से होने के कारण मुझे अपने जीवन में पैसे का काफी अभाव हुआ तब मैं कक्षा आठवीं में पढ़ाई कर रहा था । पैसा का अभाव होने के कारण मैं कक्षा आठवीं से ही छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाने लगा ।

इसी तरह कुछ महीनों के बाद जब मैं कक्षा नवमी में पहुंचा तो मैंने कविता-कहानी लिखना आरंभ कर दिया । जो भी बच्चों को पढ़ाकर पैसा होता था उसे अपने एक अच्छी जिंदगी बनाने में खर्च करने लगे और अपना जीवन सुधारने में पैसा लगाने लगे। जिसके बाद बहुत कड़ी मेहनत के बाद रात को भी दिन बनाकर अपने जीवन का एक पहला कदम बढ़ाया और तब मैं आखिरकार एक ” नवरवि ” नामक पुस्तक को लिखा । यह पुस्तक मेरे जीवन का एक अद्भुत ही स्वर्ण के रूप में रहेगा । यह पुस्तक को लिखने में मैं अपना सारा ज्ञान को लगाया। यह पुस्तक एक विद्यार्थी को प्रेरणा के रूप में काम करेगा ।
इस पुस्तक का नाम ”नवरवि” रखने का पीछे का भी कारण है । यह खुद को मानते हैं कि मैं उगता हुआ सूरज की तरह हूं और जिस तरह सूर्य सभी को भलाई करता है तथा नया दिन के साथ नया संदेश देता है , उसी तरह मैं वर्तमान से भविष्य तक सबको भलाई और शिक्षा देना तथा शिक्षित करने का काम करूंगा ।

सोनू कृष्णन

“कवि काल्पनिक के संबंध से ही कवित्व की रचना करती है।”

सोनू कृष्णन का ‘ नवरवि ‘ नामक पुस्तक सबसे प्रथम पुस्तक है , जो अपने पढ़ाई के साथ-साथ यह पुस्तक को भी लिखे थे । यह पुस्तक के लिए कविता लिखना 20 मई 2022 को शुरूवात किए तथा 16 दिसम्बर 2022 को पूरा हुआ था ।


उनका मानना है कि यह पुस्तक भविष्य के सुनहरा अक्षर पुस्तकों में एक यह भी पुस्तक रहेगा । इस पुस्तक में 101 कविता है , जो प्राकृतिक , प्यार , प्रेरक तथा महापुरुषों पर कविता है ।

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सोनू कृष्णन

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