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पाकिस्तान का पानी बंद करेगा भारत, Indus Water Treaty
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62 साल के इतिहास में यह पहली बार है जब भारत ने Indus Water Treaty सिंधु जल समझौते में संशोधन की मांग की है। भारत ने सिंधु जल समझौता 1960 में संशोधन के लिए पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है। भारत भी इससे पहले पाकिस्तान को पानी रोकने की चेतावनी दे चुका है। जब पुलवामा हमला हुआ था उसके बाद भारत के तत्कालीन परिवहन और जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा था कि भारत पाकिस्तान में बह रहे अपने हिस्से के पानी को रोक सकता है।
क्या है Indus Water Treaty सिंधु जल समझौता आइए जानते हैं
सिंधु जल समझौता तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी मिलिट्री जनरल अयूब खान के बीच कराची में सितंबर 1960 में हुआ था। लगभग 62 साल पहले हुई सिंधु जल संधि (IWT) के तहत भारत को सिंधु तथा उसकी सहायक नदियों से 19.5 प्रतिशत पानी मिलता है और पाकिस्तान को लगभग 80 प्रतिशत पानी मिलता है। भारत अपने हिस्से में से भी लगभग 90 प्रतिशत पानी ही उपयोग करता है। 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु घाटी को छह नदियों में विभाजित करते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
इस समझौते के तहत दोनो देशों के बीच प्रत्येक साल सिंधु जल आयोग की वार्षिक बैठक होना अनिवार्य है। सिंधु जल संधि को लेकर पिछली बैठक 30-31 मई 2022 को नई दिल्ली में हुई थी। पू्र्वी नदियों पर भारत का अधिकार है। जबकि पश्चिमी नदियों को पाकिस्तान के अधिकार में दे दिया गया। इस समझौते की मध्यस्थता विश्व बैंक ने किया था।
भारत को आवंटित तीन पूर्वी नदियां सतलज, ब्यास और रावी के कुल 168 मिलियन एकड़-फुट में से लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट वार्षिक जल भारत के लिए आवंटित किया गया है। भारत अपने हिस्से का लगभग 90 प्रतिशत ही उपयोग करता है। बाकी बचा हुआ पानी पाकिस्तान चला जाता है। जबकि पश्चिमी नदियां जैसे सिंधु, झेलम और चिनाब का लगभग 135 मिलियन एकड़ फीट वार्षिक जल पाकिस्तान को आवंटित किया गया है।
सिंधु जल प्रणाली (Indus River System)
सिंधु जल प्रणाली में मुख्य नदी के साथ-साथ पांच सहायक नदियां भी शामिल हैं। इन नदियों में रावी, ब्यास, सतलज, झेलम और चिनाब है। ये नदियां सिंधु नदी के बाएं बहती है। रावी, ब्यास और सतलुज को पूर्वी नदियां जबकि जबकि चिनाब, झेलम और सिंधु को पश्चिमी नदियां कहा जाता है। इन नदियों का पानी भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत ने क्यों नोटिस जारी किया आइए जानते हैं
सिंधु जल समझौते के अनुसार भारत को कुछ शर्तों के साथ पश्चिमी नदियों पर रन ऑफ द रिवर परियोजना के माध्यम से पनबिजली उत्पन्न करने का अधिकार दिया गया है। भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा (नीलम) और रातले जलविद्युत परियोजनाएं इन्हीं पश्चिमी नदियों पर हैं। लेकिन पाकिस्तान इस पर आपत्ति जताता है। पाकिस्तान ने 2015 में इस परियोजना पर तकनीकी आपत्तियों की जांच के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति का अनुरोध किया था। लेकिन 2016 में पाकिस्तान ने इस अनुरोध को एकतरफा वापस लेते हुए फैसला सुनाने के लिए एक मध्यस्थ अदालत की मांग की।
पाकिस्तान की ओर से की गई यह कार्रवाई Indus Water Treaty सिंधु जल संधि के अनुच्छेद IX का अल्लंघन है। इसलिए भारत ने इस मुद्दे को तटस्थ विशेषज्ञ के पास भेजने का अनुरोध किया। पारस्परिक रूप से बीच का रास्ता निकालने के लिए भारत की ओर से बार-बार प्रयास करने के बावजूद पाकिस्तान ने 2017 से 2022 तक स्थायी सिंधु आयोग की पांच बैठकों में इस पर चर्चा करने से इनकार कर दिया। इस तरह से पाकिस्तान की ओर से सिंधु जल संधि के प्रावधानों के लगातार उल्लंघन ने भारत को सिंधु जल समझौते में संशोधन को लेकर नोटिस जारी करने के लिए मजबूर कर दिया है।
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