ये सात लम्हे कैसे बीत गए नवोदय के
By- VARUN SINGH GAUTAM बहुत रोना आता है नवोदय छोड़ने का मन नहीं करता है।आँसू भी गिर आएँ, बहुत सारा….. अब आखिर चंद दिन शेष बचे। छोड़ दिया हूँ नवोदय के महफिल को, रो – रो के…. कुछ शब्द प्रस्फुटित हो गए हैं शेष शब्द नीचे हैं पढ़े और कृतार्थ करें ऐ नवोदय……तुम्हारे ख्वायों के …