तन्हा मैं
By- VARUN SINGH GAUTAM उड़ जा धूल उस महिधर मेंयहाँ धारा धार में द्वेष भरामत रूक ढ़ाल तरणी को जगाप्रवार वसन्त में गरल व्याल पथ – पथ प्रतिशोध क्यों ज्वाला ?अवशी जीवन अवृत्ति विषादछीन लिया तिनका नहीं है कुन्तलओझल भी नहीं जीवन चषक दिलकशी भरी कुच कीस हरणलूट गया हूँ सदेह सीकड़ मेंतीहा नहीं शाण …