अग्निपथ का अग्निवीर
By- VARUN SINGH GAUTAM मैं अग्निपथ का अग्निवीरनायक था किन्तु अब नहींमहानायक का भी स्वप्न नहींदेखूं भी अब कैसे यहाँ पेदूधमुंहा चलेगी सरहद तैयारी.कैसे बचे, किन्हें कहें ये दर्द जुबानी क्या कहूँ, जो सोचा, देखा नहींकैसे बताऊँ ये उपद्रवी संसारकिन्तु दुष्कर्ता यहाँ पर देखोअनुकूल नहीं प्रतिकुल यहाँभौकाल हैं ये, भ्रष्ट हैं येन समझ हैं ये, …