अकेला
By- VARUN SINGH GAUTAM मैं अकेला रह गया हूँ बसहताश भरी ज़िन्दगी व्यर्थ मेरेपूछता नहीं कोई इस खल मेंमोहताज भरी मैं अवलम्ब स्नेही केफूट – फूट तीर रहा रुदन मेरी कायास्वप्न धूमिल मेरी असमञ्जस में बावला हूँ विकल तन के तन्हा मैंनिन्दा तौहीन मेरे शृङ्गार भरीपथ – पथ समर्पण होती व्यथा मेरीफिर भी अपरिचित – …