मैं हूँ निर्विकार
By- VARUN SINGH GAUTAM पथिक हूँ उस क्षितिज केकर रहा जग हुँकार मेरीलौट आया हूँ उस नव स्पन्दन सेकल – कल कलित कुसुम धरा पथ – पथ करता मेरी स्पन्दनहोती प्रस्फुटित जलद सागर सेक्रन्दन के जयघोष शङ्खनाद मेरीतम समर में आलोक अपना पलकों में नीहार मन्दसानु नलिनआगन्तुक के अन्वेषण प्रीति कलीमैं प्रवीण इन्दु प्राण ज्योत्स्नाविस्तृत …