Varun Singh Gautam
मेरे गुरुवर
By- VARUN SINGH GAUTAM शिक्षा दायिनी मेरे गुरुवरप्रभा प्रज्वलित हो तिमिर मेंमैं छत्रछाया हूँ आपके अजिर केपराभव अगोचर आपके चरण में पथ – पथ प्रशस्त रहनुमा हमारेकुसीद में साँवरिया आपके भवघन – घन वारि इल्म विस्तीर्णअक़ीदा प्रज्ञा नय संस्कार अलङ्कृत आराध्य करूँ मैं कलित नव्य हयातपारावार मीन हूँ तड़पित खलतेरी करुणा आनन्दित सरोवरअवलम्ब श्रीहीन अंगानुभूति …
एक घड़ी या दो घड़ी….
By- VARUN SINGH GAUTAM १. चल दिया लौट इस तस्वीर से बन्धुइस दिव्य ज्योति – सी चमक अब नहींआया था नव्य कलित बनके इस भव मेंपर , कोई पूछा भी नहीं , पहचान कैसे ? २. तेरी दर पै भी गया था , एक वक्त किन्तुदर – दर भटका , फिर भी सोचा चलूँ एकबारउस …