Varun Singh Gautam

कवित्त भाग – चार

VARUN SINGH GAUTAM

लोग छुट जाते समय के मध्यांतर से विरह की अग्नि को क्या कहूं ? बहुत ही ज्यादा तड़पाती है पता है सांत्वना देने के बजाय

इकतीस, December

VARUN SINGH GAUTAM

By- VARUN SINGH GAUTAM इकतीस, December ये भी दिन साल के आखिरीइकतीस दिसम्बरभोर के आच्छादन हैकुहेलिका दुग्धवत हैशरीर पर थरथरीचुभती मगर किन्तुशोर मचातीस्पर्श मात्र सेरोंगटे खड़े हो जातेमानो ठंड का मौसम हैहाँ, जी ठंड ही है। पिता मेरे पाणिग्रहण कोचिन्ता भविष्यद के लिएचरम के गहराई तलक…मेरी माँ मेरे ममत्व मेंमेरे ले के भोजन बना रहीक्योंकि …

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कशिश

कशिश

कशिश By- VARUN SINGH GAUTAM परिस्थितियां कुछ भी होख्वाहिशें पूरी हो ही जातीजो मस्तिष्क के लकीरों मेंउत्कीर्णित बिछी हुई रहती उत्कृश्ट को कहो क्या ?क्यारी भी नीर के प्यासे हैंआकृति तो आकर्षणों मेंलिपटीं रहती गुड़ चिऊँटी सी मानता हूँ मैं रहूं या नहींपर अंतर्ध्यान हो जाऊंपर कोई है द्वन्द्व को, संघर्ष कोसंयोग बनता नहीं किसी …

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SCIENCE KA MAHAKUMBH 2022 TOPPER LIST

SCIENCE KA MAHAKUMBH 2022 TOPPER LIST

SCIENCE KA MAHAKUMBH 2022 TOPPER LIST हमारी वेबसाइट “Science ka Mahakumbh” में आपका स्वागत है। जिनका भी परिणाम 2022 मे सबसे ज्यादा बार 80+% आया है । उन सभी का नाम इस सूची में है। आप सभी को ढेर सारी शुभकामनायें। इसी प्रकार मन लगाकर पढ़ते रहे । हमारी वेबसाइट sciencekamahakumbh.com अपने परिवार और दोस्तों …

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स्पन्दन

स्पन्दन By- VARUN SINGH GAUTAM एक स्पन्दन की टूटी सांसें,पर प्रस्फुटन हो फिर चकाचौंध मेंउसकी स्मृतिचिह्नों के कदम ताल परकौन धराधर ओ लताएं बैरीकरें इसे हर कोई दंडवतरह रह इसे प्रणाम। अस्तित्व के न्यौछावर मेंएक भी बचा किसे जगहारतत्पुरुष के प्रतिक्षा मेंसाध्वी प्रज्ञा के प्रज्ज्वलित केकिसे करें संस्कार, सद्भाव ? ये मंत्र है उन दिग्गजों …

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मेरी सम्पूर्ण

मेरी सम्पूर्ण By- VARUN SINGH GAUTAM तुम्हारे पीछे की ओट सेतुम्हें मैं खुद में पाता हूंसमर्पण लिए सशरीरएक बार समिलन कोनव्य सृजन सृष्टि कोलूं थाम, करूं प्रस्फुटनजिसमें मैं तू को‌ लूं पातुम्हारे आँखों के कजरबन तुझमें ही लूं समातू ही दुनिया तू ही चाहतू ही अश्रु मेरी परिपूर्णतेरे पैरों को स्पर्श मात्र सेतन झन झन …

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गाँव की शामें

गाँव की शामें By- VARUN SINGH GAUTAM गाँव की शामेंझोंपड़ीनुमा आकृतियाँमोनू के घर कीशान्त वातावरणगऊ, भैंस गाछी सेचरके लौटती घर कोढ़लान से आती वोबथान कोबगल में नीम का पेड़लम्बे-लम्बे, ऊंचे-ऊंचेसामने तालाब के पानीबतख तैर रहेमुन्नी मटका लिएपानी केभोजन बनाने जातेघर को। किसी के घर सेउठती ऊपर नभ ओरचूल्हे के धूँआआकृति बनाती विशेषखुसबू आती घर सेलिट्टी-पकौड़े …

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ये अन्धेरी रात

ये अन्धेरी रात By- VARUN SINGH GAUTAM ये अन्धेरी रातमायूसी – सीचुपचाप कोने मेंचित्कार कर रहीपुकार रही मानोंजैसे हो बचाने कोपर कोई नहींसिर्फ दिख रहें इनकेआंशू की तेज धारआंखों से गालों तकरो‌-रो के बस भर रहेक्यों!इसे पेड़ काट रहेया काले-काले मंडरातेविषदूषित रातभरी-भरी सभा में येअपना दुखड़ा हृदयों मेंछिपाएं ख़ुश हैकोई जानने को हैइच्छुक या अपनत्वक्यों …

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कंपकंपी

कंपकंपी By- VARUN SINGH GAUTAM ठिठुर-ठिठुर रहतेघर के अन्दर हमकम्बल के अन्दरचिपके-चिपके हमदेखो पानी भी ठंडाये भोजन भी ठंडाकरंट-सी लगतीऊंगली में, तन मेंअंगीठी को पकड़खुद को गर्म करतेसुबह-सुबह नहाने सेडरते भी, बचते हैं हमदुबूक-दुबूक रहतेमोटे-मोटे कपड़ों मेंऊपर सर पे टोपी लगानीचे पैरों में जूता पहनशरीर को कंपकंपी सेखुद को बचाते हम। S. NO. VARUN SINGH …

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ठिठुरन

ठिठुरन By- VARUN SINGH GAUTAM ठंड – ठंड हवा के झोंकेआई ये शीतलहर चहुंओरलगती जब लहर-लहर केबदन पड़ जाती शिथिलसब घर-घर कोने में दुबकेमुँह से कुछ न कुछ बोलते ठिठुरन, कंपकंपी होने को हैरोएँ – रोएँ बढ़ उठ खड़े होतेचिपके – चिपके बिस्तर से हमदुबूक – दुबूक ओढ़े कंबल में उजले ओस बून्द गिरे ऊपर …

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कवित्त 2

कवित्त 2 By- VARUN SINGH GAUTAM तुम्हारी वासनाओं केतुझे पाने कोतुझमें ही समाना प्रिय मुझे। तुम्हारी शरीर के प्रश्नचिह्न परस्पर्श होने की ख्वाहिशमन‌ में, भावनाओं मेंगंग – सी बहना प्रिय मुझे। बिन्दुत्व मिलन को हैप्रणत्व नव्यसृजन चले ओरमैं और तू संगम कोदो विपरीत शरीर प्रिय मुझे। तू प्रिय मैं तेरी प्रियवरतन्हां गंधर्व इनके कौन!तेरी मेरी …

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कवित्त

कवित्त By- VARUN SINGH GAUTAM एक बात हैहृदयों मेंचाहों मेंपर कैसे कहूं ?मैं खुद-ब-खुदअसमंजसबरकरार इसतलक तकयाद नहींबेकसूर थेहम कभीया अभी-अभी…..!अंतर्द्वंद्व हैईच्छा भीपर पूछूं क्या ?किससे और कहाँकैसे या क्योंकिसके या परन्तुकिसके लिए न….हाँ हाँ हाँ हाँ हाँहैं कौनयाद नहींपर बात हैकसर-सीहै किन्तुरहस्यमयी औरअश्रुपूर्ण ये तलकगहराईयों के तह तक। S. NO. VARUN SINGH GAUTAM 1 एक …

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कवि और कहानीकार

कवि और कहानीकार VARUN SINGH GAUTAM S. NO. VARUN SINGH GAUTAM 1 एक घड़ी या दो घड़ी…. 2 एक पैग़ाम ( ग़ज़ल ) 3 मैं हूँ निर्विकार 4 पवित्र बन्धन 5 मैं तड़प रही 6 हरीतिमा स्वंहृदय में 7 विजयपथ 8 मेरे गुरुवर 9 शृङ्गार अलङ्कृत 10 विकल पथिक हूँ मैं 11 अकेला 12 साँझ …

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फोन तो फोन है

फोन तो फोन है By- VARUN SINGH GAUTAM फोन तो फोन हैफेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटरके नामयूट्यूब की जवानी हैमैसेज का हालवाट्सएप टिपीर-टिपीरलिंकिंन जाॅब के तलाशक्रोम गूगल ब्राउज़रबोलूं तोखोजूं बाबा हैं…..टेलिग्राम चैनल हैकू बना नया हालकोरोना तो मीट पर हीजीमेल सन्देश भेजने केचाल, ढ़ाल, कहूं तो मनहारGPay ले चलूं बाजारगूगल मैप्स से खोजूं राहड्रीम ११ स्वप्न सी …

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