poem in hindi
निःशेष लिए… भाग-2
By- VARUN SINGH GAUTAM निःशेष लिए… भाग-2 हाँ, कोई हैमेरे जीवन को सुदृढ़ लिएपरिस्थितियां देखमुझे बताती, समझाती भी हैसच में वोबहुत ही ज्यादा अच्छी हैंइस सफ़र को आनन्द मेंउत्साह भर भर देती हैएक हुँकार लिएसमर शंखनाद कोकृष्ण नहीं पार्थ हैपर कोई हैसशरीर नहीं, है सहृदयदेखूँ तो कैसेपर इसे तईं हैशब्द मात्र कहूँया वर्ण मात्रया सिर्फ …
कवित्त भाग – नौ
By- VARUN SINGH GAUTAM कवित्त भाग – नौ क्या स्थिति आ गई है भारत की ?अभी पशुओं भोजन तलाश रहेअब मनुष्यों की यही दशा होगीकुछ हैं भी, देखें है धुंध झोपड़ियों में रहतेकर रहे कुछ और हाहाकारकुछ तो हैं शहंशाही परिवारअपना पेटी भरना बन्द करो दुर्जनोंकितना! और किसको खाओगेकुछ लुफ़्त पर्याय हो रहेअब आ रही …
कवित्त भाग – आठ
By- VARUN SINGH GAUTAM कवित्त भाग – आठ अकस्मात् अँसुवानाअंबुनिधि – सीअकत है।अकथ् हैअंशुमाला कीगहना है किन्तुअकरासू को गहनताअकथ्य है।अकर्षण हैअकच्छ कीअकर्मण्यता, अकरास रखनाअकर है।अकरुण, अकरखो अकरणीयसमर्थ है,अउअंशुपति नहींअकिंचितज्ञ हैये अखिल सी अकावआच्छादित है। S. NO. VARUN SINGH GAUTAM 1 एक घड़ी या दो घड़ी…. 2 एक पैग़ाम ( ग़ज़ल ) 3 मैं हूँ निर्विकार …