VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA
VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA शीर्षक:- महफ़िल भी जल उठी चल दिया अंतिम बेला तट के यहाँमहफ़िल भी जल उठी पन्नग व्याल मेंअधम लहू दृग धो रही चिरते – चिरते चिर कोअवपात मै , चाल भी मेरे कच्छप के… कारुण्य दामिनी प्रवात के रश्मि आँगन में नहींखोजता नभ पे वों भी मद में पड़ाक्षितिज प्राची …