मेरे गुरुवर
By- VARUN SINGH GAUTAM शिक्षा दायिनी मेरे गुरुवरप्रभा प्रज्वलित हो तिमिर मेंमैं छत्रछाया हूँ आपके अजिर केपराभव अगोचर आपके चरण में पथ – पथ प्रशस्त रहनुमा हमारेकुसीद में साँवरिया आपके भवघन – घन वारि इल्म विस्तीर्णअक़ीदा प्रज्ञा नय संस्कार अलङ्कृत आराध्य करूँ मैं कलित नव्य हयातपारावार मीन हूँ तड़पित खलतेरी करुणा आनन्दित सरोवरअवलम्ब श्रीहीन अंगानुभूति …