मेरी सम्पूर्ण
मेरी सम्पूर्ण By- VARUN SINGH GAUTAM तुम्हारे पीछे की ओट सेतुम्हें मैं खुद में पाता हूंसमर्पण लिए सशरीरएक बार समिलन कोनव्य सृजन सृष्टि कोलूं थाम, करूं प्रस्फुटनजिसमें मैं तू को लूं पातुम्हारे आँखों के कजरबन तुझमें ही लूं समातू ही दुनिया तू ही चाहतू ही अश्रु मेरी परिपूर्णतेरे पैरों को स्पर्श मात्र सेतन झन झन …