VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA

VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA

VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA शीर्षक:- मौन जैसे, तुम्हारा टूटनापतझड़ में सूखी पत्तियों का ढ़ेरपके बाल, सफ़ेद, स्थूलकाय का होनाआदमी हैं। यह टूटनायाद दिलाता मशक्कत करताकिसानमेढ़ पर बैठा उम्मीद। जहाँ-तहाँ आम के डालियों मेंमंज़री आनाशादी का लगन भी है, सुनाई दे रही हैनिमंत्रण नहीं है इसलिए मैं तुम्हें पढ़ता हूँ कविता { शमशेर बहादुर सिंह …

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