भारत (कविता) By- VARUN SINGH GAUTAM
भारत (कविता) By- VARUN SINGH GAUTAM मैं भी हूं भारत के नागरिक आप आश्चर्य होंगे, किन्तु हूं भूखें नंगे गरीब गंदे में फैले इंसान मेरे मां बाप भी हैं, दो बच्चें भी बीमारी, आंशू की रक्त बहा रहे जो कचरों के ढ़ेरों में चुनने गए हैं अपनी भविष्य या सुनहरी स्वप्न नहीं! , अपितु फेंके …