ठिठुरन

ठिठुरन By- VARUN SINGH GAUTAM ठंड – ठंड हवा के झोंकेआई ये शीतलहर चहुंओरलगती जब लहर-लहर केबदन पड़ जाती शिथिलसब घर-घर कोने में दुबकेमुँह से कुछ न कुछ बोलते ठिठुरन, कंपकंपी होने को हैरोएँ – रोएँ बढ़ उठ खड़े होतेचिपके – चिपके बिस्तर से हमदुबूक – दुबूक ओढ़े कंबल में उजले ओस बून्द गिरे ऊपर …

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