VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA

VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA

VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA शीर्षक:- प्रेम की संज्ञा तुम थी मैंने तुमको देखा जब जबअपने संघर्षों के आगेतेरी मान-मर्यादा, सादगी, समर्पण, रूप-गुण मेंतुमसे कम थाकिन्तु हाँ , मेरा प्रेम असीम थाब्रह्माण्ड में सबसे सुन्दर की जो प्रतिमान हैउसकी संज्ञा तुम थीइसलिए मैं तुमसे दूर थाक्योंकि सबकुछ में मैं तुमसे कम थापर आज मैं नहीं …

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