कवित्त 2
कवित्त 2 By- VARUN SINGH GAUTAM तुम्हारी वासनाओं केतुझे पाने कोतुझमें ही समाना प्रिय मुझे। तुम्हारी शरीर के प्रश्नचिह्न परस्पर्श होने की ख्वाहिशमन में, भावनाओं मेंगंग – सी बहना प्रिय मुझे। बिन्दुत्व मिलन को हैप्रणत्व नव्यसृजन चले ओरमैं और तू संगम कोदो विपरीत शरीर प्रिय मुझे। तू प्रिय मैं तेरी प्रियवरतन्हां गंधर्व इनके कौन!तेरी मेरी …