कंपकंपी

कंपकंपी By- VARUN SINGH GAUTAM ठिठुर-ठिठुर रहतेघर के अन्दर हमकम्बल के अन्दरचिपके-चिपके हमदेखो पानी भी ठंडाये भोजन भी ठंडाकरंट-सी लगतीऊंगली में, तन मेंअंगीठी को पकड़खुद को गर्म करतेसुबह-सुबह नहाने सेडरते भी, बचते हैं हमदुबूक-दुबूक रहतेमोटे-मोटे कपड़ों मेंऊपर सर पे टोपी लगानीचे पैरों में जूता पहनशरीर को कंपकंपी सेखुद को बचाते हम। S. NO. VARUN SINGH …

कंपकंपी Read More »