एक घड़ी या दो घड़ी….
By- VARUN SINGH GAUTAM १. चल दिया लौट इस तस्वीर से बन्धुइस दिव्य ज्योति – सी चमक अब नहींआया था नव्य कलित बनके इस भव मेंपर , कोई पूछा भी नहीं , पहचान कैसे ? २. तेरी दर पै भी गया था , एक वक्त किन्तुदर – दर भटका , फिर भी सोचा चलूँ एकबारउस …