इकतीस, December
By- VARUN SINGH GAUTAM इकतीस, December ये भी दिन साल के आखिरीइकतीस दिसम्बरभोर के आच्छादन हैकुहेलिका दुग्धवत हैशरीर पर थरथरीचुभती मगर किन्तुशोर मचातीस्पर्श मात्र सेरोंगटे खड़े हो जातेमानो ठंड का मौसम हैहाँ, जी ठंड ही है। पिता मेरे पाणिग्रहण कोचिन्ता भविष्यद के लिएचरम के गहराई तलक…मेरी माँ मेरे ममत्व मेंमेरे ले के भोजन बना रहीक्योंकि …