आज शायद थे गुस्से में हम - SAURABH SINGH

आज शायद थे गुस्से में हम – SAURABH SINGH

हमारी वेबसाइट “Science ka Mahakumbh” में आपका स्वागत है। यहां पर सौरभ सिंह की कविता, कहानी प्रकाशित किया जाएगा। आप सभी इसका आनंद लीजियेगा।

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BY- SAURABH SINGH

आज शायद थे गुस्से में हम - SAURABH SINGH
आज शायद थे गुस्से में हम – SAURABH SINGH

आज शायद थे गुस्से में हम
था कोई शायद बड़ा कारण
कुछ समय से हैं परेशान
क्योंकि हाँ हम नादान है
किसी के बारे में गलत सोचते नहीं
ना किसी को कुछ गलत कहते हैं
फिर भी परेशान लोग करते हैं हमे
और हम भी परेशान होते हैं

Call उठाये नहीं आपका
पहला कारण मन से दुखी हैं
दूसरा कारण भाई है आया
घर में खुशियां है लाया.
अगर होती बात तो खुलते कई राज
जानकर हमारे दुख का कारण
बंद हो जाती वेबसाइट दूसरों के कारण

माना हुआ गलती आज हमसे
किसी का गुस्सा किसी पर निकाला
जिंदगी की हमारी पहली और आखिरी
गलती समझ के हमे माफ़ करना
और अपना मन साफ़ रखना.

जीता हूँ किसके लिए पता नही मुझे
मरता हूँ, किसके लिए पता नही मुझे।
लक्ष्य मेरा क्या है पता नही मुझे
जीवन में मेरे क्या है पता नही मुझे।।

BY – SAURABH SINGH

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