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ROCHAK ASHISH KI KAVITA

शीर्षक:- बचपन
अब वो पुरानी बात नहीं।
कंधे पर अब वो हाथ नहीं।।
जिनके साथ बिताए बचपन।
उन मित्रों का अब साथ नही ।।
सोचा था उड़ जाऊंगा मैं ।
सुंदर सहज सरल अंबर में।।
लेकिन पंखों से क्या होता है।
जब पंख हवा का साथ नही।।
हो जाती है बाते थोड़ी।
और थोड़ा सा हसीं मज़ाक।।
पर क्या होता है इन सबसे अब ।
जब इनमे सच्चे जज्बात नहीं।।
अब वो पुरानी बात नहीं।।
अब वो पुरानी बात नहीं ।।
-: “रोचक” आशीष