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PANKAJ GOSWAMI KI KAVITA

शीर्षक:- मै खुद…
जब भी बाहर की दौड़ भाग से,
वापस आता हूँ अपने पास अपने अंतर्मन में,
तब पाता हूँ खुद को अकेला निपट अंधकार में,
जहां बातें करने को होते है कुछ व्यक्ति स्वरूप विचार,
जिनके उधेड़ बुन में मैं खुद को निरर्थक पाता हूं,
कभी कभी सोचता हूँ छोड़ कर सब चले किसी एकांत में,
जहां निपट अंधेरा हो जहां मैं रहूं और कुछ नहीं,
फिर सोचता हूं मै तो वही पहुंचा जहां से प्रारंभ किया था,
तब लगता है,
कुछ मिल पाना शायद संभव ना हो…….
शीर्षक:- दोष नहीं….. दृष्टिकोण
जब भी लड़े हम दोनों,
कुछ इस भांति लड़े कि…
मेरी कहानी में दोषी तुम थे,
तुम्हारी कहानी में दोष मेरा।
या तो तुमने हृदय बड़ा कर,
दोष स्वीकार किया होगा…
या फिर मैंने खीझ कर,
मौन स्वीकृति दी होगी।
लड़ते-झगड़ते
हम किसी युद्ध-विराम पर पहुँचे होंगे,
संधि भी हुई होगी…
परन्तु यह “रहस्य” ही रहा कि —
दोष था किसका?
रुको…
याद आया —
वहाँ एक तीसरा पहलू भी था
जिसे हमने देखा ही नहीं।
वह तीसरा पहलू समझाता —
कि चीजों की बहुत सारी परिभाषाएँ होती हैं।
और तब शायद हम समझ जाते —
दोष किसी का था ही नहीं।
बस…
सोचने के ढंग का अंतर था।
जिसे हम दोष कहते रहे,
वह दरअसल… दृष्टिकोण था।
शीर्षक:- “शिव”
वह स्थान, जहां कुछ न हो —
न दिन, न रात,
न आवाज़ हो, न शांति की बात।
न प्रेम हो, न गुलामी,
न प्राणी, न कोई देवता स्वामी।
न समय की चाल, न अस्तित्व का जाल,
न वेदना की छाया, न हर्ष की परछाई।
जहां न कुछ संभव हो, न असंभव,
वहां रह जाता है केवल — “शिव”।
Naam Pankaj Goswami
Pata. Vill. Jethpurwa, post. Kauria, dis. Gonda ( Uttar Pradesh)
Qualification. MA in education (2024) (University of Allahabad)
Ugc NET qualified
Filhal Lucknow me rah rahaa hu