हमारी वेबसाइट “Science ka Mahakumbh” में आपका स्वागत है। यहां पर मीनू शर्मा जी की कविता प्रकाशित किया जाएगा। आप सभी इसका आनंद लीजियेगा।
MEENU SHARMA KI KAVITA

शीर्षक:- मेरी चाह बस तुम्हारा है
मैं तो बस गंगा किनारे तुम्हारे साथ घाट पर बैठना चाहती थी,
यह मेरी हमेशा से ख्वाहिश है।
तुम्हारे साथ नाव के द्वारा बीच समंदर में फंसना चाहती थी।
उस घाट पर तुम्हारे साथ खो जाना चाहती थी, उन हवाओं को तुम्हारे साथ महसूस करना चाहती थी,जो तुम्हें चूमते हुए गुजरे।
तुम्हें जी भरकर देखना चाहती थी, तुम्हारी आंखों में खो जाना चाहती थी।
तुम्हारे हाथों को चूमना चाहती थी,जिससे तुम अपने परिवार का भविष्य लिखते।
तुम्हारे स्टमक को टच करके तुम्हारे अनकंट्रोल खाने को महसूस करना चाहती थी।
और इसलिए तुम्हारे लिए chief बनना चाहती थी।
शीर्षक:- सुहावना
तुमसे मिली तो वो दिन भी सुहावनी सी थी, वो रात भी सुहावनी सी थी।
और तो और उस रात के अंधेरे में वो रोशनी भी बहुत सुहावनी सी थी।
कमबख्त आंखें खुली तो पता चला वो हकीकत नहीं एक सपना था।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी