हमारी वेबसाइट “Science ka Mahakumbh” में आपका स्वागत है। यहां पर जया शर्मा प्रियंवदा जी की कविता प्रकाशित किया जाएगा। आप सभी इसका आनंद लीजियेगा।
JAYA SHARMA PRIYAMVADA KI KAVITA

शीर्षक:- बच्चों में माँ
मेरी मां की बातों में
हां बूढ़ी होती मां की रातों में
मेरा बचपन रहता है ।
कुछ नटखट सी शरारतें
कुछ हसती हसाती सी बातों को
माँ अक्सर अपने पल्लू में
देख देख निहारती है ।
मेरे छुटपन के छोटे-छोटे कपड़े ,
रंग-बिरंगे कागज और पत्थरों के टुकड़े ,
आज भी अलग-अलग डिब्बी में सजे हैं ।
मेरे दांतों से चबाया झुनझुना ,
मां के संदूक में आज भी बजता है ।
छोटे कपड़ों में सजा उनका दुलारा
अक्सर सामने आ काजल को
कान के पीछे लगवाता है ।
रसोई से उठती खुशबू को
मेरी मां मेरी पसंद नापसंद को,
माँ मन ही मन तौलती है ।
मेरी बातों और सांसों को
माँ बिन कुछ कहे अपने आप पढ लेती है ।
मेरी जरूरतों और मेरी इच्छाओं की
महक से ही पूरा करने के लिए
मन ही मन भागती है
अपने को बड़ा और समझदार मान चुका हूं मैं ,
पर मां की जरूरत और इच्छाओं को पढ़ने में
मां के मन को पढ़ने के लिए
अक्षर अक्षर पढ़ना सीख रहा हूं मैं।
परिचय
शहीदों की नगरी शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश में जन्म लेना, मेरे लिए सौभाग्य की बात रहा ।
पिताजी डॉक्टर नित्यानंद मुद्गल ने गुड़गांव (हरियाणा )से आकर एक अनजान शहर के गांधी फैजाम डिग्री कॉलेज में हिंदी प्रोफेसर के पद पर रहते हुए ,साहित्य के माध्यम से अपनी पहचान स्थापित की।
बचपन से ही पिता जी हमको सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ले जाते ,और वहां पर बड़े-बड़े कवि और लेखक नागार्जुन, विष्णु प्रभाकर, और कमलेश्वर आदि को सुनना एक गौरवान्वित अनुभव देने वाला होता।
पिताजी स्वयं हिन्दी के वरिष्ठ कवि हैं ,तो पिताजी के साहित्यिक मित्रों के घर आने से बचपन में ही लेखन के बीज संस्कार में हमारे भीतर रोप दिए गए ।
प्रारंभिक शिक्षा शाहजहांपुर से प्रारंभ होकर रूहेलखन्ड यूनिवर्सिटी के रास्ते ,संस्कृत विषय में यूजीसी नेट परीक्षा उत्तीर्ण कर ,आगे शैक्षिक पठन-पाठन फरीदाबाद (हरियाणा) में भी अनवरत लय में ही है।
प्रकाशित कहानी संग्रह (मनकही)
(मेरे हिस्से का आसमान)
: विभिन्न साहित्यिक मंचों पर कहानी ,कविता और समसामयिक लेखों के द्वारा एक पहचान बनाने की कोशिश ।🙏🙏🙏

