हमारी वेबसाइट “Science ka Mahakumbh” में आपका स्वागत है। यहां पर जसवंत सिंह कुशवाह जी की कविता प्रकाशित किया जाएगा। आप सभी इसका आनंद लीजियेगा।
JASWANT SINGH KUSHWAHA KI KAVITA

शीर्षक:- अन्तर्द्वन्द
जिम्मेदार आप थे में नहीं
खिलाफ आप थे में नहीं
बनावटी चेहरा आपका
बनावट आप थे में नहीं
गिरी जब बारिश
बूंद आप थे
खारा समंदर आप थे
नदी का झरना आप थे
ताल तालिया
संगम घाटी
पुरानी यादें
काटी जो राते
बीती जो बाते आप थे
आप नही तो
कुछ भी नही
फिखा सावन
रुखा मौसम
उजड़ा जैसे अंतर्मन
मन के भीतर सब रिसता है
मन के भीतर मन बसता है
ये मौसम ये सावन तो चलता है
उजड़े अन्तर्मन में
फिर एक द्वंद पलता है
फिर सब रिसता है
मन के भीतर मन बसता है
नाम जसवंत सिंह कुशवाह
परास्नातक (हिन्दी साहित्य)
कोटा विश्वविद्यालय,कोटा राजस्थान
Ex. Secretary – Kota Technician chapter (student chapter)
Kota local centre kota
The institution of Engineers,India
शिक्षा – polytechnic – Electrical Engineering
AMIE/ B.E.(Sec.B) – Electrical Engineering (IEI kolkata)
B.A. +. B.Ed. – Hindi,History,sociology
M.A. – Hindi, History
पता – ग्राम व पोस्ट मोठपुर तह . अटरू जिला बारां राजस्थान