हमारी वेबसाइट “Science ka Mahakumbh” में आपका स्वागत है। यहां पर हिमांशु वर्मा जी की कविता प्रकाशित किया जाएगा। आप सभी इसका आनंद लीजियेगा।
HIMANSU VERMA KI KAVITA

शीर्षक:- मंजिल को चूमना बाकी है
छाँव मे धूप का आना भारी है
हवायें तेज हैं फिर भी चाल भारी है ।
चलते चलते पैर,थकान से हारी है
चुभ रहे काटें पाँव मे पर उम्मीद ना हारी है ।
शुरुआती संघर्ष मे कुछ ही ठोकर खाई है
अभी तो पूरे संघर्ष से टकराना बाकी है
आ रही मंजिल के राहों मे अवरोध बहुत
अभी तो उनसे निपटना बाकी है ।
अभी तो कहानी की शुरुआत करी है
सफलता के दरवाजे को चूमना बाकी है
जिनको भी हमसे लगी उम्मीद है
उनके चेहरे पर अभी मुस्कान बाकी है ।
शीर्षक:- मै बदला नही हूँ।
मैं बदला नही हूँ, वैसा ही हूँ जैसा था
वही सूरत वही मूरत कोई फर्क नही।
हाँ शायद आपके देखने का नजरिया
बदल गया हो,
तुम वो देखना चाहते हो जो शायद ना हो।
समय समय पर सब बदल जाता है
हो सकता हो मुझमे भी कुछ बदलाव हुआ हो।
मुझे आज भी याद है, वो सारी बातें
वो सारे पल जो साथ बिताए थे।
साथ बिताए हुए सारे लम्हे अब कहानी
बन कर रह गई है।
वो सब याद है मुझे कुछ नही भूला हूँ।
बदल जाता मै तो पहचान कैसे पाते तुम
नजर आना तो दूर की बात है,
मुझे याद भी नही कर पाती तुम।
ज़रा देखो अच्छे से, मै बदला नही हूँ
वैसा ही हूँ जैसे छोड़ के गये थे।
मै बदला नही हूँ।