हमारी वेबसाइट “Science ka Mahakumbh” में आपका स्वागत है। यहां पर हिमांशु वर्मा जी की कविता प्रकाशित किया जाएगा। आप सभी इसका आनंद लीजियेगा।
HIMANSU VERMA KI KAVITA

शीर्षक:- मंजिल को चूमना बाकी है
छाँव मे धूप का आना भारी है
हवायें तेज हैं फिर भी चाल भारी है ।
चलते चलते पैर,थकान से हारी है
चुभ रहे काटें पाँव मे पर उम्मीद ना हारी है ।
शुरुआती संघर्ष मे कुछ ही ठोकर खाई है
अभी तो पूरे संघर्ष से टकराना बाकी है
आ रही मंजिल के राहों मे अवरोध बहुत
अभी तो उनसे निपटना बाकी है ।
अभी तो कहानी की शुरुआत करी है
सफलता के दरवाजे को चूमना बाकी है
जिनको भी हमसे लगी उम्मीद है
उनके चेहरे पर अभी मुस्कान बाकी है ।